प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच लगातार बयानबाजी का दौर चल रहा है। अब दिल्ली में PMJAY को लागू करवाने के लिए दिल्ली के सातों सांसद हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। इस मसले जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘हैरानी’ जाहिर कि अपने खस्ता हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्टचर के बावजूद दिल्ली सरकार केंद्र सरकार की सहायता लेने से इनकार कर रही है। 

दिल्ली के सातों सांसदों- बांसुरी स्वराज, प्रवीण खंडेलवाल, रामवीर बिधुड़ी, कमलजीत सहरावत, हर्ष मल्होत्रा, मनोज तिवारी और योगेंद्र चंदोलिया द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला ने सुनवाई की। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) के तहत 70 साल के सभी बुजुर्गों को पांच लाख रुपये सालाना का मेडिकल कवर दिया जाएगा।

याचिकाकर्ताओं की वकील स्वराज ने कोर्ट में सब्मिट किया, “आज जब 36 राज्यों और UTs में से 33 ने इस योजना को लागू किया है, इनमें से कई राज्यों में केंद्र के साथ तालमेल नहीं रखने वाले राजनीतिक दलों की सरकारें हैं, विपक्षी दलों ने इसे उपयुक्त माना है, दो राज्यों – पश्चिम बंगाल और GNCTD [राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार] ने इनकार कर दिया है … दिल्ली के नागरिकों को इस (योजना) से वंचित क्यों किया जा रहा है?”

उन्होंने कहा, “2021 तक, दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी CM, जो वित्त मंत्री भी थे (मनीष सिसोदिया) ने अपनी बजट स्पीच में वादा किया था कि वे इस योजना को दिल्ली में भी लागू करेंगे। दिल्ली में रहने वाला दिल्ली का नागरिक इस योजना का लाभ नहीं उठा सकता है…इस योजना के तहत दिल्ली में 79 संस्थान सूचीबद्ध हैं।”

दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा?

चीफ जस्टिस मनमोहन ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, “आप सभी सांसद हैं, आप कोर्ट क्यों आ रहे हैं? इसका मतलब है कि सरकार सही से काम नहीं कर पा रही है (That means there is a collapse of the government), जो अच्छी बात नहीं है, है ना? हर दिन हमें याचिकाएं मिल रही हैं कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में कुछ नहीं हो रहा है… सरकार के तीनों अंगों को मजबूत होना होगा, ऐसा नहीं हो सकता कि एक अंग टूटने की कगार पर हो…”

उन्होंने आगे कहा, “मैं हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर और अस्पतालों (HC में दायर होने वाली याचिकाओं में) को संभाल रहा हूं और यह अव्यवस्था के हाल में है… मुझे हैरानी है कि वो (GNCTD) केंद्र की मदद स्वीकार नहीं कर रहे हैं, वो पैसे नहीं स्वीकार कर रहे हैं… हर दिन मुझे बताया जा रहा है कि हमारे पास (GNCTD) कोई पैसा नहीं है… और आज, आप नागरिकों के लिए 5 लाख रुपये (PMJAY के तहत  हेल्थ कवरेज के) से इनकार कर रहे हैं, मैं हैरान हूं..”

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चीफ जस्टिस ने आगे कहा, “मैं कोर्ट में खुले तौर पर कह रहा हूं , वास्तव में इसे (GNCTD के हेल्थ डिपार्टमेंट) को दिवालिया घोषित करने से चूक गए हैं… आपके हेल्थ मिनिस्टर और हेल्थ सेक्रेटरी एक-दूसरे से बात नहीं कर रहे हैं… इस तरह की हालात में आप केंद्र की सहायता स्वीकार नहीं कर रहे हैं, आपकी मशीनें काम नहीं कर रही हैं।”

दूसरी तरफ से GNCTD के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट में सब्मिट किया कि दायर की गई याचिका “गलत धारणा” से प्रेरित थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें याचिका की एडवांस कॉपी नहीं प्राप्त हुई है। उन्होंने नोटिस जारी करने का विरोध करते हुए याचिका में उठाए गए तर्कों पर जवाब देने के लिए समय मांगा। अब बेंच ने मामले को गुरुवार को आगे के सुनवाई के लिए रखा है।

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