CAG ने मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण में कुछ अनियमितताएं पायी हैं। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (PMAY-G) के कार्यान्वयन में अनियमितताओं को रेखांकित किया है। CAG की रिपोर्ट में राज्य सरकार द्वारा 1500 से अधिक अपात्र लाभार्थियों को 15 करोड़ रुपये की सहायता देने का आरोप लगाया गया है।
आंकड़ों के मुताबिक, 8000 से अधिक लाभार्थियों को एससी और एसटी समुदायों के लाभार्थियों पर प्राथमिकता मिल रही है। 8 फरवरी को मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश की गई CAG रिपोर्ट 2016-21 से योजना के कार्यान्वयन की पड़ताल करती है। इस दौरान 26,28,525 घरों को मंजूरी दी गई थी और लाभार्थियों को 24,723 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वीकृत घरों में से 82.35 प्रतिशत पूरे हो चुके हैं।
अयोग्य लाभार्थियों को मिले घर बनाने के पैसे
हालांकि, इस योजना में यह अनिवार्य है कि गाड़ी रखने वाले या नाव रखने वाले परिवारों को बाहर रखा जाए लेकिन सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 ऑडिट किए गए जिलों में घर की मंजूरी से पहले ही 2,037 लाभार्थियों के पास दो / तीन / चार पहिया वाहन थे। रिपोर्ट में कहा गया है, “हमने आगे देखा कि सीईओ, जेपी (जनपद परिषद) ने 2037 अयोग्य लाभार्थियों में से 1555 को 15.66 करोड़ रुपये की पीएमएवाई-जी सहायता जारी की।”
एक ही लाभार्थी को दो बार मकान स्वीकृत
रिपोर्ट में कहा गया है कि 64 मामलों में एक ही लाभार्थी को दो बार मकान स्वीकृत किए गए। 98 मामलों में एक घर वास्तविक लाभार्थी को और दूसरा उसके परिवार के सदस्यों को स्वीकृत किया गया था। कहा गया है, “लाभार्थियों के नाम के दोहराव की पहचान करने के लिए पोर्टल में अलर्ट करने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसमें कहा गया है कि दो बार सहायता प्रदान करने या परिवार के सदस्यों को सहायता देने के बजाय डुप्लिकेट लाभार्थियों को हटा दिया जाना चाहिए था।
लाभार्थियों को किश्तें देने में देरी
कैग की रिपोर्ट में लाभार्थियों को किश्तें देने में देरी की बात कही गई, जिसके कारण घर बनाने में देरी हुई। आमतौर पर लाभार्थी को चार किस्तों में धनराशि भेजी जाती है। CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि 53 फीसदी लाभार्थियों को सहायता राशि की पहली किस्त एक दिन से लेकर चार साल की देरी से जारी की गई थी। इसमें कहा गया है कि 14 प्रतिशत लाभार्थियों को धनराशि जारी नहीं की गई जबकि केवल 33 प्रतिशत लाभार्थियों को समय पर धनराशि प्रदान की गई।
गौरतलब है कि PMAY-G को केंद्र द्वारा 2016 में गरीबी उन्मूलन के एक साधन के रूप में पेश किया गया था। इसका उद्देश्य 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के घर उपलब्ध कराना था।
नाबालिगों को भी स्वीकृत किए गए PMAY-G के अंतर्गत घर
CAG ने यह भी बताया कि 90 मामलों में नाबालिगों को पीएमएवाई-जी घर स्वीकृत किया गया था और उनके रिश्तेदारों को लाभ प्रदान किया गया था, जिनके नाम सूची में नहीं थे। योजना का कार्यान्वयन और निगरानी आवास सॉफ्ट नामक वेब-आधारित ट्रांजेक्शनल इलेक्ट्रॉनिक सेवा वितरण प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाती है। कैग ने आवास सॉफ्ट डेटा की जांच की और कहा कि 1,246 मामलों में लाभार्थियों के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था और 950 मामलों में लाभ जारी किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है, “यह संबंधित जनपद परिषद और जिला परिषद के सीईओ द्वारा निगरानी की कमी को दर्शाता है, जिन्होंने लाभार्थी का नाम न होने के बावजूद लाभ को मंजूरी दे दी।” इसके अलावा, योजना की रूपरेखा यह निर्धारित करती है कि विधवा / अविवाहित / अलग हुए व्यक्ति के मामले को छोड़कर, घर का आवंटन पति और पत्नी के नाम पर संयुक्त रूप से किया जाएगा। कैग ने कहा कि संबंधित जिला परिषदों के सीईओ ने ढांचे का उल्लंघन किया और 25,24,951 घरों में से 12,66,815 (50.17 प्रतिशत) पुरुष लाभार्थियों को आवंटित कर दिए।