ससंद के जारी मानसून सत्र के बीच लोकसभा में बृहस्पतिवार को भी मणिपुर मुद्दे पर गतिरोध बरकरार रहा। विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब 20 मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर मुद्दे पर जल्द चर्चा कराने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। इन सबके बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री का बचाव करने की जरूरत नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि मणिपुर मुद्दे पर बहस की विपक्ष की मांग पर सभापति प्रधानमंत्री का बचाव कर रहे हैं। जिसके जवाब में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मुझे पीएम का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे किसी का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे संविधान, आपके अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है। LoP की ओर से इस तरह की टिप्पणी अच्छी नहीं है।
दरअसल, मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने की मांग पर धनखड़ ने कहा कि वह दोपहर 1 बजे पार्टियों के फ्लोर नेताओं को अपने कक्ष में बुलाएंगे और मणिपुर पर चर्चा की व्यवस्था करेंगे। इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया कि सदन को दोपहर एक बजे तक के लिए स्थगित कर दिया जाए। उन्होंने आगे कहा, “सर, आप इतनी छोटी-छोटी मिन्नतें नहीं मानते। हमने प्रधानमंत्री जी को आने के लिए कहा, आप उस पर भी सहमत नहीं हुए। आप पीएम का इतना बचाव क्यों कर रहे हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा है।”
मुझे पीएम का बचाव करने की जरूरत नहीं- जगदीप धनखड़
खड़गे को जवाब देते हुए धनखड़ ने कहा, ”हमारे प्रधानमंत्री का बचाव मुझे नहीं करना है। उन्हें वैश्विक मंचों पर पहचाना जाने लगा है। हर भारतीय को उन पर गर्व होना चाहिए। आप कड़वी सच्चाई से क्यों भाग रहे हैं, भारत आगे बढ़ रहा है। सभी ने इसमें योगदान दिया है। मुझे किसी का बचाव करने की जरूरत नहीं है।”
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तीन दशकों की गठबंधन सरकार के बाद मुझे किसी का बचाव करने की आवश्यकता नहीं है। मुझे संविधान की रक्षा करना आवश्यक है। मुझे आपके अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है।
जगदीप धनखड़ बोले प्रधानमंत्री को सदन में आने का निर्देश नहीं दे सकते
वहीं, सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को साफ कहा कि वह प्रधानमंत्री को सदन में आने का निर्देश नहीं दे सकते। संसद का मानसून सत्र के शुरू होने के बाद से ही विपक्षी सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा और प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहे हैं। इस पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को स्पष्ट करते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए सदन में उपस्थित रहने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे ऐसा करके पद की शपथ का उल्लंघन करेंगे।
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से संसद में बयान देने और इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है। कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच पिछले हफ्ते लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। इस पर अगले हफ्ते आठ अगस्त से सदन में चर्चा होगी और 10 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी इसका जवाब दे सकते हैं।