प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने अपने कैबिनेट में कुछ अहम बदलाव कर सभी को चौंका दिया। पीएम के कैबिनेट में इस बार कई नए नामों को जगह दी। इनमें अश्विनी वैष्णव का नाम सबसे अलग रहा। वजह यह है कि अश्विनी वैष्णव राज्यसभा में तो 2019 से ही भाजपा के सांसद थे, लेकिन उन्हें अब तक पार्टी ने राज्यमंत्री तक का पद नहीं सौंपा था। हालांकि, हालिया कैबिनेट फेरबदल में उन्हें दो बड़े मंत्रालय- रेलवे और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय दे दिया गया। वह भी पीयूष गोयल और रविशंकर प्रसाद जैसे दो बड़े चेहरों को हटाकर।

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि अश्विनी वैष्णव पीएम मोदी की नजर में आए कैसे। बताया जाता है कि कैबिनेट बदलाव से पहले भाजपा नेताओं के बीच यह चर्चा जरूर थी कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरह की किसी नेता की मंत्रीपद पर लेटरल एंट्री होने वाली है, लेकिन अश्विनी वैष्णव के बारे में किसी को भी खास जानकारी नहीं थी। कम से कम तीन नेताओं ने बताया कि उन्हें वैष्णव के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था।

भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, वैष्णव का नाम पहली बार तब उठा था, जब 2020 में ही कैबिनेट में फेरबदल के चर्चे थे। यानी मोदी उन्हें अपने कैबिनेट में रखने में रुचि दिखा चुके थे। लेकिन संघ ने वैष्णव को कैबिनेट में शामिल किए जाने का विरोध कर दिया था। संघ का तर्क था कि पार्टी कार्यकर्ताओं को कैबिनेट में ज्यादा प्राथमिकता मिलनी चाहिए। हालांकि, भाजपा नेतृत्व उस वक्त वैष्णव के नाम पर अटक गया था।

टेक से जुड़ी नीतियों पर वैष्णव की मदद लेते थे मोदी: बताया जाता है कि जब मोदी गुजरात के सीएम थे, तब वे टेक से जुड़ी नीतियों में अश्विनी वैष्णव की मदद लेते थे। बताया जाता है कि पीएम बनने के बाद जब मोदी दिल्ली तब भी उनका वैष्णव से संपर्क बना रहा।

धाराप्रवाह गुजराती बोलते हैं वैष्णव: कहा जाता है कि मोदी से उनके अच्छे रिश्तों की एक वजह यह भी हो सकती है कि वे धाराप्रवाह गुजराती बोलते हैं। दरअसल, उनका जन्म जरूर राजस्थान में हुआ था, लेकिन उनका परिवार कई पीढ़ियों पहले गुजरात के भावनगर से ही वहां पहुंचा था। इसका खुलासा शुक्रवार को गुजार सीएम विजय रुपाणी ने नए सिरे से निर्मित हुए गांधीनगर रेलवे स्टेशन के उद्घाटन के दौरान कहा।