कांग्रेस के महापुरुषों की विरासत ‘छीनने’ को लेकर पार्टी की नाराजगी का सामना कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां राज्य के कांग्रेस के दिग्गज दिवंगत नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली के ससुर गिरधारी लाल डोगरा के जन्मशती समारोह में हिस्सा लिया और ‘राजनीतिक छुआछूत’ की निंदा की।
जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री के रूप में 26 बार बजट पेश करने वाले डोगरा को समारोह में मौजूद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने ‘24 कैरेट कांग्रेसी’ बताया। मोदी ने इसके जवाब में कहा, ‘हम हमारी विरासत को बंटने न दें। कभी-कभार तो हर कोई सार्वजनिक जीवन का व्यक्ति अपने कालखंड में अपनी विचारधाराओं को लेकर काम करता है, लेकिन वो जीता है देश के लिए, मरता है देश के लिए। हम जो आज की पीढ़ी के लोग हैं, उनका काम नहीं है कि उनके लिए हम दीवार पैदा करें। हमारे लिए तो वे सभी महापुरुष हैं’।
उन्होंने कहा, ‘उन सभी महापुरुषों ने जिन्होंने देश के लिए काम किया है, आदर और गौरव का विषय होना चाहिए, इसमें कभी छुआछूत नहीं होना चाहिए। वो नेशनल कांफ्रेंस में थे या कांग्रेस में थे, प्रधानमंत्री को (समारोह में) आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए, सवाल यह नहीं है। आना इसलिए चाहिए कि उन्होंने अपनी जवानी देश के लिए खपाई थी’।
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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसलिए हमारी विरासतें कभी बंटनी नहीं चाहिए। राजनीति में छुआछूत नहीं चलती है, देश के लिए जीने-मरने वालों के लिए समान भाव जरूरी होता है, उनके प्रति सम्मान होना जरूरी होता है और उसी के तहत डोगराजी आज होते तो हमारा विरोध करते, शायद अपने दामाद (जेटली) का भी करते। लेकिन उनके जीवन को, उनके कार्यों को हम गौरव के साथ देखें, उनसे कुछ सीखें और आगे बढ़ें’।
मोदी की यह टिप्पणी इन मायनों में अहम है कि पिछले साल उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही कांग्रेस आरोप लगा रही है कि वह सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, भीमराव आंबेडकर और सुभाष चंद्रबोस जैसे उसके राष्ट्रीय महापुरुषों की विरासत हथियाने का प्रयास कर रहे हैं।
हाल ही में भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत के कामराज से भी अपने को जोड़ने का प्रयास करते हुए उन्हें एक ऐसा राष्ट्रीय नेता बताया जिसने आपातकाल का विरोध किया। पार्टी ने उनकी और मोदी के बीच समानताएं भी गिनाई थीं। उम्मीदों के विपरीत प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर राज्य के लिए किसी पैकेज की घोषणा नहीं की।
समारोह में जेटली और आजाद के अलावा राज्य के राज्यपाल एनएन वोहरा, मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता करण सिंह मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने डोगरा की जन्मशती पर उनका उदाहरण देते हुए परिवारवादी राजनीति की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि गिरधारी लाल इतने कद्दावर नेता होने के बावजूद अपने परिवार को सार्वजनिक जीवन में कभी नहीं लाए।
डोगरा के जीवन पर आयोजित प्रदर्शनी देखने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरे मन को एक बात छू गई, उस प्रदर्शनी में। और छू इसलिए गई कि आज के राजनीतिक जीवन में वो नजर नहीं आता है। मैंने उनकी राजनीतिक यात्रा की जितनी तस्वीरें देखीं, उन तस्वीरों में उनके परिवार का एक भी व्यक्ति कहीं नजर नहीं आता है। यह छोटी बात नहीं है। परिजन दिखाई दिए एक तस्वीर में, जो उनकी अंत्येष्टि की यात्रा की तस्वीर है। आज के राजनीतिक जीवन के लिए यह अपने आप में संदेश है।
मोदी ने कहा कि डोगरा साहब को व्यक्तियों की परख बड़ी पक्की थी। और उसका उदाहरण है उन्होंने जो दामाद चुने हैं। वरना अरुणजी की विचारधारा का और उनकी राजनीतिक विचाराधारा का कोई मेल नहीं था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बेटी उन्हें दे दी।
उन्होंने कहा कि और यह भी विशेषता है कि दामाद ससुर के कारण नहीं जाने जाते और ससुर दामाद के कारण नहीं जाने जाते। वरना इतने साल के सार्वजनिक जीवन में अरुणजी को कभी तो मन कर गया होगा कि ससुर इतनी बड़ी जगह पर बैठें हैं, लेकिन इन्होंने भी अपने आप को दूर रखा और उन्होंने भी इनको दूर रखा। कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए मोदी ने संभवत: भूमि सौदों को लेकर विवादों में रहे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के संदर्भ में कहा, ‘आज तो हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या क्या बातें होती हैं’।
राजनीतिक छुआछूत को अस्वीकार करते हुए मोदी ने कहा, ‘मुझे याद है कि जब अटलजी की सरकार बनी और उसी दिन कम्युनिस्ट पार्टी के एक बहुत बड़े नेता का केरल में स्वर्गवास हो गया था, उसी समय अटलजी ने कहा कि आडवाणीजी आप उनकी अंत्येष्टि में जाइए। उन्होंने देश के लिए बहुत बड़ा काम किया है। भाजपा का घोर विरोध करने वाली उनकी विचारधारा होने के बावजूद अटलजी ने आडवाणीजी को उनकी अंत्येष्टि में भेजा।
उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक छुआछूत नहीं चलती है, देश के लिए जीने मरने वालों के लिए समान भाव होना जरूरी होता है, उनके प्रति सम्मान होना जरूरी होता है और उसी के तहत डोगराजी आज होते तब हमारा विरोध करते, शायद अपने दामाद का भी करते। लेकिन उनके जीवन को, उनके कार्य को हम गौरव के साथ देखें, उनसे कुछ सीखें और आगे बढ़ें’।
मोदी ने कहा कि गिरधारी लाल जम्मू कश्मीर के कद्दावर नेता थे जिन्होंने वहां के वित्त मंत्री के रूप में 26 बार बजट पेश किया। ऐसा मौका उस व्यक्ति को ही मिलता है जिसका राजनीतिक जीवन सभी के समक्ष स्वीकृत और पारदर्शी हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आज दो या तीन पीढ़ियां ऐसी होंगी जो यह कहती हैं कि उन्हें गिरधारी लाल जी की अंगुली पकड़कर चलने का मौका मिला। उन्होंने कार्यकर्ताओं की ऐसी परंपरा तैयार की जो आगे चलकर स्वच्छ राजनीति के पथ पर आगे बढ़े। प्रधानमंत्री ने कहा कि आमतौर पर बहुत कम राजनीतिक ऐसे होते हैं जो मरने के बाद भी जीवित रहते हैं। कुछ ही समय में भुला दिए जाते हैं। लोग भी उन्हें भूल जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे अपवाद होते हैं जो अपने कार्यकाल में जैसा काम करते हैं, जिस प्रकार का जीवन जीते हैं, उसके कारण मृत्यु के बाद भी लोगों के जेहन में बने रहते हैं। गिरधारी लाल जी ऐसे ही नेता थे।
दामाद का बहाना, कांग्रेस पर निशाना
डोगरा साहब को व्यक्तियों की परख बड़ी पक्की थी। और उसका उदाहरण है उन्होंने जो दामाद चुने हैं। वरना अरुणजी की विचारधारा का और उनकी राजनीतिक विचारधारा का कोई मेल नहीं था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बेटी उन्हें दे दी। यह भी विशेषता है कि दामाद ससुर के कारण नहीं जाने जाते और ससुर दामाद के कारण नहीं जाने जाते। वरना इतने साल के सार्वजनिक जीवन में अरुणजी को कभी तो मन कर गया होगा कि ससुर इतनी बड़ी जगह पर बैठें हैं, लेकिन इन्होंने भी अपने आप को दूर रखा और उन्होंने भी इनको दूर रखा।… नरेंद्र मोदी