पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी में थे। यहां उन्होंने ऐतिहासिक कनक मंडप का दौरा किया और 14वीं-15वीं शताब्दी के संत-दार्शनिक एवं कीर्तनकर कनकदास को पुष्पांजलि अर्पित की। उडुपी श्री कृष्ण मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के पश्चिम की ओर मुड़ने की पौराणिक घटना का श्रेय कनकदास को दिया जाता है।

यहां आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उडुपी ने पांच दशक पहले नया शासन मॉडल प्रस्तुत किया था। राम जन्मभूमि आंदोलन में उडुपी की भूमिका को पूरा देश जानता है। उन्होंने कहा कि मंदिर आंदोलन में श्री विश्वेश तीर्थ स्वामीजी के मार्गदर्शन का ही परिणाम है कि अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराया गया।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि राम मंदिर में उडुपी के श्री माधवाचार्य को समर्पित एक विशेष द्वार है। उन्होंने कहा, “कनक विंडो के माध्यम से उडुपी मंदिर में श्रीकृष्ण की झलक मुझे संत कवि कनकदास से जोड़ती है।”

‘भगवान श्रीकृष्ण गीता में हमें लोक कल्याण के लिए काम करने को कहते हैं’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि गीता में श्रीकृष्ण की शिक्षाएं हर युग में प्रासंगिक हैं, वे राष्ट्रीय नीति को निर्देशित करती हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण गीता में हमें लोक कल्याण के लिए काम करने को कहते हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास’, ‘सर्वजन हिताय’ जैसे नारे गीता के श्लोकों से प्रेरित हैं। गरीबों की मदद करने का गीता में दिया गया संदेश प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी नीतियों का आधार है।

पीएम नरेंद्र मोदी की तीसरी उडुपी यात्रा

यह पीएम नरेंद्र मोदी का उडुपी का तीसरा और श्री कृष्ण मठ का दूसरा दौरा है। उन्होंने पहली बार 1993 में उडुपी की यात्रा की थी और उसके बाद वह 2008 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उडुपी पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने श्रीकृष्ण मंदिर का दौरा किया था।

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