सीमा मुद्दे और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चीन की आधारभूत परियोजनाओं जैसे परेशान करने वाले मुद्दों के बीच चीन की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कल चीनी नेतृत्व से मुलाकात कठिन चुनौती होगी हालांकि, उन्होंने उम्मीद जतायी है कि यह एशिया के लिए ‘नया मील का पत्थर’ साबित होगा।
प्रधानमंत्री के तौर पर चीन की अपनी पहली यात्रा पर जा रहे मोदी एक शिखर सम्मेलन के लिए सामान्य प्रोटोकॉल से हटकर एक असाधारण कदम के तहत कल राष्ट्रपति शी जिनपिंग के गृह शहर, प्राचीन शहर जियान पहुंचेंगे। पिछले साल सितंबर में भारत दौरे के दौरान मोदी ने भी चीनी नेता का अहमदाबाद में स्वागत किया था।
अपने दौरे के पहले प्रधानमंत्री ने चीनी मीडिया से कहा, ‘‘मैं चीन के अपने दौरे के लिए आशान्वित हूं…21 वीं सदी एशिया की है।’’
हिंदी में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि उनके दौरे से भारत-चीन का संबंध ‘आगे अधिक प्रगाढ़’ होगा और एशिया तथा विकासशील देशों के लिए ‘नया मील का पत्थर’ साबित होगा।
अपने दौरे के पहले सरकारी सीसीटीवी से मोदी ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि चीन के मेरे दौरे से केवल चीन-भारत दोस्ती ही प्रगाढ़ नहीं होगी बल्कि यह दौरा एशिया में विकासशील देशों के साथ ही दुनिया भर में संबंधों के लिए नया मील का पत्थर होगा। इसमें जरा भी संदेह नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि भारत और चीन ने हालिया वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों में बड़ी प्रगति की है और धैर्य व परिपक्वता के साथ अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश की है। मोदी ने कहा, ‘‘चीनी मीडिया के साथ संवाद कर मैंने भारत-चीन संबंधों की मजबूत संभावनाओं को रेखांकित किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने खासकर, गरीबी उन्मूलन में विकासशील देशों की मदद के लिए हमारी साझा जिम्मेदारी पर बात की।’’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘बुद्ध की जमीं होने के नाते एशिया पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि यह सदी जंग से मुक्त हो।’’
मोदी ने जिक्र किया कि उन्होंने पिछले एक साल में राष्ट्रपति शी से तीन बार मुलाकात की और विविध मुद्दों पर समग्र बातचीत की।
दो साल पहले शी के सत्ता में आने के बाद यह पहली बार है जब वह बीजिंग के बाहर किसी विदेशी नेता का स्वागत करेंगे और मोदी के साथ अनौपचारिक तौर पर संवाद के लिए इतना वक्त गुजारेंगे।
शी ने इससे पहले जिस दूसरे नेता के साथ इस तरह टहलकर वक्त बिताया, वह थे बराक ओबामा जिनसे वह एपेक सम्मेलन के दौरान मिले। अमेरिकी राष्ट्रपति को वह बीजिंग में इंपेरियल गार्डन जोजानहाई ले गए जहां पर चीन का नेतृत्व रहता है।
बहरहाल, दोनों देश जिन बातों पर गौर करेंगे उसमें सीमा विवाद से लेकर भारत के चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को चीन का समर्थन भी शामिल है।
राष्ट्रपति शी ने 20 अप्रैल को पाकिस्तान के अपने दौरे पर राजमार्ग और पनबिजली परियोजनाओं के साथ ही पीओके होते हुए बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह तक चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर सहित आधारभूत संररचनाओं के निर्माण के लिए 46 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की थी।
नयी दिल्ली ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर पर बीजिंग के समक्ष आपत्ति दर्ज करायी है। सीमा मुद्दों पर गंभीर मतभेद बना हुआ है यहां तक कि दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करने के प्रयास कर रहे हैं कि शांति बनी रहे।
चीन पिछले साल चीनी राष्ट्रपति के दौरे के दौरान मोदी की ओर से प्रस्तावित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को स्पष्ट करने का इच्छुक नहीं है। सीमा के प्रस्ताव के पहले एलएसी के संबंध में स्पष्टता से दोनों पक्षों की आक्रामक गश्त रुकने की उम्मीद है।
पिछले दो साल में प्रधानमंत्री ली क्विंग और शी के भारत दौरे के दौरान लद्दाख में चीनी सैनिकों की दो घुसपैठों से दौरे का महत्व फीका पड़ गया था।
घटनाओं के बाद मोदी ने शी को सुझाव दिया था कि एलएसी के स्पष्ट होने से सीमा पर शांति बनाए रखने में बड़ी मदद मिलेगी जहां दोनों तरफ के सैनिक अपना-अपना दावा जताते रहते हैं। इस साल मार्च में सीमा वार्ता के 18 वें चरण के दौरान भी मुद्दे पर चर्चा हुयी थी।
शी अपने गृहनगर जियान में मोदी के साथ वार्ताओं के अलावा उन्हें प्रसिद्ध वाइल्ड गूज पैगोडा भी लेकर जाएंगे। वाइल्ड गूज पैगोडा की स्थापना बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाने में बौद्ध भिक्षु शियान जांग के योगदान के प्रतीक के रूप में छठी शताब्दी ईसा पश्चात् की गई थी।
इस आध्यात्मिक स्थल की यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शियान ने प्राचीन रेशम मार्ग के माध्यम से 645 ईसा पश्चात् भारत की यात्रा की थी और वे यहां अनमोल बौद्ध ग्रंथों के साथ 17 वर्षों तक रहने के बाद घर वापस गए थे।
दोनों नेताओं के प्रीतिभोज करने से पहले पारंपरिक चीनी शाही तांग राजवंश मोदी का स्वागत करेगा। दोनों नेताओं के बीच सीमा संबंधी मसलों, चीन की समुद्री रेशम मार्ग (एमएसआर) परियोजना और भारत में चीनी निवेशों के मुद्दों पर बात होगी।
चीन रेशम मार्ग परियोजना को आगे बढाना चाहता है जबकि इस परियोजना को लेकर भारत को कुछ संदेह हैं। चीन इस परियोजना के लिए पहले ही 40 अरब डॉलर की घोषणा कर चुका है।
मोदी शियान से बीजिंग जाएंगे जहां वह प्रधानमंत्री ली क्विंग से द्विपक्षीय संबंधों पर वार्ता करेंगे। विदेश सचिव एस जयशंकर ने यात्रा की पूर्व संध्या पर कहा, ‘‘द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय मामलों, बहुपक्षीय मामलों समेत सभी राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। केवल राजनीतिक ही नहीं बल्कि आर्थिक मामलों पर भी बात की जाएगी।
इस दौरान व्यापार, आपसी सहयोग वाली ढाचांगत परियोजनाओं पर निवेश और मुझे लगता है कि लोगों के बीच संपर्क संबंधी व्यापक मुद्दों पर भी बात की जाएगी।’’
दोनों पक्ष व्यापार, निवेश और अन्य विविध क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के बीजिंग में रहने के दौरान भारत-चीन राज्य एवं प्रांतीय नेताओं के फोरम की पहली बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एवं गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल भाग लेंगी।
प्रधानमंत्री टेम्पल ऑफ हेवन में योग और ताई ची के एक संयुक्त समारोह में भाग लेंगे और बीजिंग के सिंघुआ विश्वविद्यालय में जनसभा को संबोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री शंघाई में चीन के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और फुदान विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर गांधियन स्टडीज का उद्घाटन करेंगे। वह शंघाई में एक सामुदायिक समारोह को भी संबोधित करेंगे।
वह 17 मई को मंगोलिया पहुंचेगे जहां वह मंगोलिया के राष्ट्रपति साखियागिन एल्बेगदोर्ज से मुलाकात करेंगे।
दोनों पक्ष कैंसर के उपचार के लिए परमाणु तकनीक को लागू करने, सौर एवं पवन ऊर्जा, चिकित्सा एवं होम्योपैथी की परंपरागत प्रणालियों, साइबर सुरक्षा और अन्य मामलों पर बात करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे जो मंगोलिया की यात्रा करेंगे। मोदी मंगोलिया में लोकतंत्र के 25 वर्ष पूरे होने और दोनों देशों के राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे होने की पृष्ठभूमि में यह यात्रा करेंगे।
इसके बाद तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण कोरिया जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति पार्क ग्यून हाय से मुलाकात करेंगे। दोनों देशों के नेता दोहरे कराधान से बचाव की संधि, नौवहन, परिवहन, राजमार्गों और विद्युत विकास समेत कई क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। वह वहां भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी 19 मई को सोल से दिल्ली लौटेंगे।