The Sabarmati Report: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को हाल ही में रिलीज हुई फिल्म द साबरमती रिपोर्ट की तारीफ करते हुए कहा कि सच्चाई सामने आ रही है जिसे आम लोग देख पाएंगे। 2002 में गोधरा ट्रेन त्रासदी से पहले की घटनाओं पर विक्रांत मैसी अभिनीत फिल्म पर एक ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए , पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘ठीक कहा। यह अच्छा है कि यह सच्चाई सामने आ रही है और वह भी एक तरह से जिसे आम लोग देख सकते हैं। एक फर्जी कहानी केवल सीमित समय तक ही चल सकती है। आखिरकार, तथ्य हमेशा सामने आते हैं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक एक्स पोस्ट शेयर किया है। इसमें फिल्म के बारे में कुछ जरूरी बातें भी बताई गई हैं। पोस्ट में यह दावा किया गया है कि इस फिल्म को क्यों देखा जाना चाहिए। इसके बारे में चार पॉइंट लिखे गए हैं।
क्या हैं चार पॉइंट
पहला पॉइंट में यह कहा गया कि यह प्रयास विशेष रूप से सराहनीय है क्योंकि यह हमारे हाल के इतिहास की सबसे शर्मनाक घटनाओं में से एक की महत्वपूर्ण सच्चाई को सामने लाता है। दूसरे पॉइंट में कहा गया कि फिल्म के निर्माताओं ने इस मुद्दे को बहुत संवेदनशीलता और गरिमा के साथ संभाला है। तीसरे पॉइंट में कहा गया कि एक बड़े मुद्दे पर हम सभी के लिए यह आत्मनिरीक्षण करने लायक है कि कैसे साबरमती एक्सप्रेस के यात्रियों को जलाए जाने की घटना को एक निहित स्वार्थी समूह द्वारा राजनीतिक बारूदी सुरंग में बदल दिया गया, जिसने इसे एक नेता की छवि को धूमिल करने के साधन के रूप में देखा। उनके पारिस्थितिकी तंत्र ने अपने स्वयं के तुच्छ एजेंडे को संतुष्ट करने के लिए एक के बाद एक झूठ फैलाया।
The Sabarmati Report Review: ‘द साबरमती रिपोर्ट’ देखकर दर्शकों की आंखों में आए आंसू
चौथे पॉइंट में कहा गया कि आखिरकार 59 निर्दोष पीड़ितों को खुद के लिए बोलने का मौका मिला। हां, जैसा कि वे कहते हैं, सत्य की ही जीत होती है। यह फिल्म वास्तव में उन 59 निर्दोष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है जिन्हें हमने उस फरवरी की सुबह खो दिया था।
गोधरा कांड क्या था?
अब गोधरा कांड के बारे में बात करें तो 27 फरवरी, 2002 की सुबह साबरमती एक्सप्रेस अपने टाइम से ही लगभग 12 बजे गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर पहुंची। बिहार के मुजफ्फरपुर से गुजरात के अहमदाबाद तक चलने वाली इस ट्रेन में सैकड़ों यात्री सवार थे। इसमें बड़ी संख्या में कारसेवक भी शामिल थे। गोधरा से ट्रेन के रवाना होने के बाद इमरजेंसी चैन को कई बार खींचा। इसकी वजह से ट्रेन स्टेशन के बाहर सिग्नल के पास ही रुक गई। इसके बाद भयानक हमला हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 2000 लोगों की भीड़ ने ट्रेन पर पत्थर फेंके और इसके चार डिब्बों में आग लगा दी। इस आग में 59 लोग जल गए। वहीं 48 यात्री घायल भी हो गए थे। इसके बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए।