NITI Aayog: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल की सातवीं बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में फसल विविधीकरण, शहरी विकास और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के क्रियान्वयन जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। आमतौर पर गवर्निंग काउंसिल की बैठक हर साल होती है। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2020 में यह बैठक नहीं बुलाई गई थी। वहीं, जुलाई 2019 के बाद गवर्निंग काउंसिल की यह पहली बैठक है जिसमें सभी प्रतिभागी आमने-सामने मौजूद हैं।

गवर्निंग काउंसिल नीति आयोग की शीर्ष संस्था है और इसमें राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल तथा कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, एस जयशंकर के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और असम के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। नीति आयोग ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि संस्था ने राज्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए पहले ही कई उपाय किए हैं। साथ ही यह भी कहा कि केसीआर ने नीति आयोग के प्रतिनिधिमंडल के बार-बार मीटिंग के अनुरोध का जवाब नहीं दिया। नीति आयोग ने तेलंगाना को केंद्र की वित्तीय सहायता का भी हवाला दिया और दावा किया कि केसीआर के आरोप निराधार हैं।

भूपेश बघेल ने उठाया मनरेगा का मुद्दा

इस बीच, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी इस बैठक में मौजूद रहे। नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मनरेगा को शहरों के पास स्थित ग्रामीण क्षेत्रों और 20,000 से कम आबादी वाले शहरों में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने बैठक में जीएसटी मुआवजे का मुद्दा भी उठाया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में गोधन न्याय योजना के लिए छत्तीसगढ़ की सराहना की।