प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में जातीय समीकरणों का खूब ख्याल रखा गया है और कोशिश की गई है कि लगभग सभी जातियों का प्रतिनिधित्व सरकार में रहे। हालांकि गुरुवार को शपथ ग्रहण करने वाले मंत्रियों को देखें तो पता चलता है कि मोदी सरकार की कैबिनेट में अगड़ी जातियों का दबदबा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शपथ लेने वाले 58 मंत्रियों में से 32 ऊंची जाति के नेता हैं। मोदी कैबिनेट में 9 ब्राह्मण नेता हैं, जिनमें नितिन गडकरी प्रमुख हैं। वहीं 3 ठाकुर नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया है, जिनमें राजनाथ सिंह, जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत और मध्य प्रदेश के मुरैना से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर का नाम शामिल है।
मोदी कैबिनेट में ओबीसी वर्ग को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है और इस वर्ग से खुद पीएम मोदी आते हैं और धर्मेंद्र प्रधान को भी कैबिनेट में जगह दी गई है। दलित समुदाय से 6 नेताओं को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। वहीं आदिवासी समुदाय से 4 नेताओं को जगह मिली है। इनमें झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा का नाम भी शामिल है। सिख समुदाय से अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और भाजपा के हरदीप पुरी को जगह दी गई है। वहीं मुख्तार अब्बास नकवी को भी केन्द्रीय मंत्री का पद दिया गया है, जो कि मंत्रीमंडल में इकलौता मुस्लिम चेहरा हैं। हालिया लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत में कई क्षेत्रीय पार्टियों के जातिगत समीकरण ध्वस्त हो गए थे और विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाजपा का समर्थन किया था। यही वजह है कि भाजपा ने भी मंत्रीमंडल में लगभग सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है।
अगड़ी जातियां भाजपा समर्थक मानी जाती हैं, यही वजह है कि भाजपा ने भी मंत्रीमंडल में बड़ी संख्या में अगड़ी जाति के नेताओं को शामिल कर अपने वोटबैंक को सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है। बीते कार्यकाल में भाजपा ने आर्थिक रुप से पिछड़े उच्च समुदाय के लोगों को भी 10% आरक्षण देने का फैसला भी किया था। जातिगत समीकरणों के अलावा आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए भी भाजपा ने कैबिनेट का गठन किया है। बता दें कि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्यों से कई नेताओं को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है।