भारत और जापान के बीच बुलेट ट्रेन और सिविल न्यूक्लियर डील हो गई है। शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की मौजूदगी में ये समझौते हुए। इससे पहले मोदी की तारीफ में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी बुलेट ट्रेन की स्पीड से नीतियां लागू कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मोदी की नीतियां हाई स्पीड ट्रेन की तरह सेफ, भरोसेमंद और लोगों को एक साथ ले जाने की क्षमता रखती हैं। मजबूत भारत मेरे देश जापान के लिए अच्छा है और मजबूत जापान भारत के लिए अच्छा है।’ वहीं, पीएम मोदी ने कहा कि भारत को हाई स्पीड ट्रेन के साथ ही हाई स्पीड ग्रोथ भी चाहिए। यह पहली बार है कि मारुति कार भारत में बनेगी और भारत से जापान कार इम्पोर्ट करेगा।
शिंजो आबे से दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मीटिंग के बाद मोदी ने कहा कि भारत में पहला बुलेट ट्रेन नेटवर्क मुंबई-अहमदाबाद के बीच शुरू होगा। जापान 12 अरब डॉलर यानी करीब 75 हजार करोड़ रुपए का फंड मेक इन इंडिया को प्रमोट करने के लिए खर्च करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट पर रजामंदी बनना आपसी भरोसे को दर्शाता है। मोदी ने जापान के नागरिकों के लिए 1 मार्च 2016 से वीजा ऑन अराइवल देने का भी एलान किया। इसके अलावा भारत और जापान ने डिफेंस इक्विपमेंट व टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की भी बात कही है।
भारत-जापान की बढ़ती करीबी से चीन परेशान : जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा से चीन खुश नहीं है। नई दिल्ली और टोक्यो के बीच बढ़ती दोस्ती को वह अपने लिए खतरा मान रहा है। चीन के सरकारी अखबार ‘द ग्लोबल टाइम्स’ ने लिखा, ‘रणनीतिक लिहाज से देखें तो भारत-जापान के बीच बढ़ती करीबी का बड़ा कारण चीन है। चीन के बढ़ते कदम रोकने के लिए टोक्यो मोदी को अपने पाले में करना चाहता है।’ हालांकि, अखबार ने मोदी सरकार की तारीफ की है, लेकिन जापान के इरादों पर गहरी आशंका जताई है।
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