प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर पूर्व राज्य मणिपुर जा सकते हैं। उनकी ये यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि मई 2023 से राज्य में शुरू हुआ जातीय संघर्ष अब भी जारी है। इस घटना के शुरू होने के बाद पीएम मोदी की ये पहली यात्रा होगी। पीएम मोदी की इस यात्रा को ध्यान में रखते हुए वहां के राज्यपाल अजय भल्ला ने प्रदेश के बीजेपी और सहयोगी दलों के विधायकों को यात्रा से पहले राज्य में तनाव को कम करने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों से बात करने को कहा है। ये जानकारी हमारे सहयोगी संस्थान इंडियन एक्सप्रेस को पता चली है।
हालांकि प्रधानमंत्री की यात्रा के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राज्यपाल भल्ला ने बीते रविवार को मणिपुर राजभवन में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के विधायकों की एक बैठक बुलाई। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत सिंह के साथ-साथ मणिपुर भाजपा प्रमुख ए शारदा देवी सहित 20 से अधिक विधायकों ने भाग लिया।
13 सितंबर को मणिपुर जा सकते हैं पीएम मोदी
इस बैठक को लेकर इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार आगामी 13 सितंबर को मिजोरम में पीएम मोदी के संभावित यात्रा कार्यक्रम के विधायकों को बताया गया है। इस बैठक में सभी विधायकों को बताया गया कि पीएम दोपहर में कुकी बहुल चुराचांदपुर जाएंगे, जिसके लिए पीस ग्राउंड में तैयारियां चल रही हैं। वहां से, दोपहर 2 बजे तक हेलीकॉप्टर से इम्फाल के कांगला किले में उनके उतरने और वहां भाषण देने की उम्मीद है। इसके बाद दोपहर 3:30 बजे इम्फाल हवाई अड्डे के लिए उनके रवाना होने की उम्मीद जताई गई है। जहां से पीएम मोदी असम की अपनी निर्धारित यात्रा पर निकलेंगे।
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इस मीटिंग के दौरान यह भी बताया गया है कि जातीय संघर्ष के कारण विस्थापित हुए लोगों के प्रतिनिधियों से पीएम मोदी मुलाकात कर सकते हैं। इस दौरान सभी विधायकों को भी आमंत्रित किया जा सकता है और उन्हें प्रधानमंत्री के साथ मंच की बजाय कांगला किले में वीआईपी सुरक्षा घेरे में बैठाया जा सकता है। विधायकों से कहा गया है कि वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इस संदेश का प्रचार-प्रसार करें, ताकि यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो। सूत्रों के अनुसार ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री संघर्षग्रस्त राज्य के लिए पुनर्वास पैकेज की घोषणा कर सकते हैं। अगर कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हुई हिंसा की बात करें तो काफी दिनों तक चले इस संघर्ष में करीब 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।