आज स्वतंत्रता दिवस है। आजादी के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से एक बार फिर भाषण दिया है। देश वासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने बिना नाम लिए ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को संदेश दे दिया है। उन्होंने कहा है, ‘हमें पूरी उर्जा के साथ अपनी लकीर को लंबा करना है। अगर हम अपनी लकीर लंबी करते हैं तो दुनिया भी हमारा लोहा मानेगी। आज जब वैश्विक परिश्तितियों में आर्थिक स्वार्थ बढ़ रहा है, समय की मांग है कि हम उन संकटों पर रोने के लिए ना बैठें, हिम्मत के साथ अपनी लकीर लंबी करें। कोई स्वार्थ हमे अपने चंगुल में नहीं फंसा सकता है।’
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘अब हमे और नई ताकत के साथ जूझना है, पिछले दिनों हमने कई रिफॉर्म किए थे, बीमा कंपनियों में किए, यूनिवर्सिटी को लेकर किए, 40 हजार से ज्यादा नियमों को खत्म किया है, 1500 से अधिक पुराने कानूनों को भी खत्म किया है। हमने दर्जनों कानूनों को सरल करने के लिए भी कई बदलाव किए हैं।
ट्रंप ने भारत पर लगाया है 50 प्रतिशत का टैरिफ
दरअसल अमेरिका की ओर से दुनिया के कई देशों पर आर्थिक बोझ डालते हुए टैरिफ लगाया है। अमेरिका द्वारा लगाया गया टैरिफ भारत पर भी है। अमेरिका द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। बीते 7 अगस्त से 25 प्रतिशत की टैरिफ लगी हुई है जबकि आने वाली 27 अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाई जाने वाली है। ये पूरी प्रक्रिया डोनाल्ट ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद शुरू हुई है।
‘सिंधु जल समझौता अन्यायपूर्ण और एकतरफा, हमें मंजूर नहीं…, पीएम मोदी ने पाकिस्तान को चेताया
पीएम मोदी ने इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए लाल किले से अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बगैर ही निशाना साधते हुए कहा है कि हमें पूरी उर्जा के साथ अपनी लकीर को लंबा करना है। अगर हम अपनी लकीर लंबी करते हैं तो दुनिया भी हमारा लोहा मानेगी।
पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश
लाल किले से पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश देते हुए मोदी ने कहा, ‘भारत को पता लग गया है कि सिंधु जल समझौता कितना अन्यायपूर्ण और एकतरफा है। देश से निकलती नदियों का पानी दुश्मन की धरती को सींच रहा है और मेरे देश की धरती प्यासी है। ये ऐसा समझौता था, जिसने पिछले सात दशक से मेरे देश के किसानों का अकल्पनीय नुकसान किया। हिंदुस्तान के हक के पानी पर अधिकार यहां के किसानों का है। किसान हित में, राष्ट्र हित में सिंधु जल संधि समझौता हमें मंजूर नहीं है।’