मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकाल की पूजा अर्चना के बाद पीएम मोदी ने मंगलवार को “श्री महाकाल लोक” का वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच लोकार्पण कर दिया। अद्भुत परिसर को बनाने में मध्य प्रदेश सरकार 421 करोड़ रुपये का योगदान देगी। 271 करोड़ रुपये केंद्र की तरफ से दिए जाएंगे तो 21 करोड़ का खर्च मंदिर समिति वहन करेगी। मोदी आज शाम को ही उज्जैन पहुंचे थे। महाकाल परिसर का निर्माण 20 हेक्टेयर में किया जा रहा है। यह यूपी के वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना बड़ा है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पांच हेक्टेयर में फैला है।
महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण तीर्थयात्रियों को विश्व स्तरीय आधुनिक सुविधाएं प्रदान करके मंदिर में आने वालों के अनुभव को समृद्ध करने में मदद करेगा। परियोजना का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करना और विरासत संरचनाओं के संरक्षण और बहाली पर विशेष जोर देना है।
परियोजना के तहत मंदिर परिसर का करीब सात गुना विस्तार किया जाएगा। खास बात यह है कि इससे राज्य में और विशेष तौर पर उज्जैन में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। उज्जैन में हर वर्ष लाखों लोग भगवान महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं।
पूरी परियोजना की कुल लागत लगभग 850 करोड़ रुपये है। महाकाल कॉरिडोर पौराणिक सरोवर रुद्रसागर के किनारे विकसित किया गया है। यहां भगवान शिव, देवी सती और अन्य धार्मिक आख्यानों से जुड़ी करीब 200 मूर्तियां और भित्ति चित्र उकेरे गए हैं। यहां सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, 108 स्तम्भों में शिव के आनंद तांडव, शिव स्तम्भ, प्रवेश द्वार पर विराजित नंदी की भव्य और विशाल प्रतिमाएं मौजूद हैं।
कॉरिडोर का लोकार्पण करने से पूर्व पीएम मोदी ने महाकाल भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। मोदी करीब छह बजे मंदिर के गर्भगृह में गए। उन्होंने पारंपरिक धोती पहन रखी थी और गमछा डाल रखा था। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ थे।
कहा- उज्जैन के कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि महाकाल के आशीर्वाद से भारत की भव्यता पूरे विश्व के विकास के लिए नई संभावनाओं को जन्म देगी। भारत की दिव्यता पूरे विश्व के लिए शांति के मार्ग प्रशस्त करेगी। उज्जैन भारत की आत्मा का केंद्र है। उज्जैन के क्षण-क्षण में इतिहास सिमटा हुआ है, कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है।
यहीं से महाराजा विक्रमादित्य ने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी
उज्जैन वो नगर है जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है, ये वो नगर है जहां स्वयं भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी। जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा तब से ये माना जाता है कि उज्जैन भारत के केंद्र में हैं। ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है बल्कि ये भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है।
पीएम ने बताया कि आजादी के अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंच प्राण का आहृवान किया है। इसलिए आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम भारत की संस्कृति का गौरव बढ़ा रहा है। सोमनाथ में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उत्तराखंड में बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ, बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं।
इससे राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुयेगा
आजादी के बाद पहली बार चार धाम प्रोजेक्ट के जरिए हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड से जुड़ने जा रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार करतारपुर साहिब खुला है। किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है जब उसकी सफलता का परचम विश्व पटल पर लहरा रहा होता है। सफलता के शिखर तक पहुँचने के लिए ये जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सिर उठाकर खड़ा हो। भारत का ये सांस्कृतिक दर्शन एक बार फिर शिखर पर पहुंचकर विश्व के मार्गदर्शन के लिए तैयार हो रहा है।
इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “श्री महाकाल लोक अद्भूत बना है। 2018 में मध्य प्रदेश की कैबिनेट ने इसका टेंडर जारी किया। बीच में 2019-2020 में थोड़ी दिक्कत आई थी, लेकिन 2020 के बाद फिर से काम तेजी से शुरू हुआ और आज पीएम ने श्री महाकाल लोक का लोकार्पण किया है।”
इससे पहले, प्रधानमंत्री अहमदाबाद से इंदौर हवाई अड्डा पहुंचे, जहां मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उनका स्वागत किया। इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी हेलिकॉप्टर से उज्जैन रवाना हुए जहां राज्यपाल मंगू भाई पटेल और चौहान ने उनकी अगवानी की।