नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिवसेना की नाराजगी व उसकी गैरमौजूदगी की परवाह किए बगैर रविवार को अपने मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार किया। इसमें सुबह तक शिव सैनिक रहे सुरेश प्रभु, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर, जेपी नड्डा व हरियाणा के जाट नेता बीरेंद्र सिंह ने कैबिनेट स्तर के मंत्री के रूप में शपथ ली। राजीव प्रताप रूड़ी, बंडारू दत्तात्रेय और महेश शर्मा को स्वतंत्र प्रभार वाला राज्यमंत्री बनाया गया है। मंत्रिमंडल के विस्तार में 21 नए चेहरों को जगह दी गई है। इसमें से चार ने कैबिनेट मंत्री, तीन ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 14 ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सहयोगी दलों में से तेदेपा के वाईएस चौधरी को मंत्री बनाया गया है।

मंत्रिमंडल के विस्तार में प्रत्याशित व अप्रत्याशित दोनों चीजें देखने को मिली है। पर्रिकर को उम्मीद के मुताबिक रक्षा मंत्री बनाया गया जिसका अतिरिक्त प्रभार अभी वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास था। नए विस्तार व फेरबदल में जेटली को सूचना व प्रसारण मंत्रालय भी सौंप दिया गया है। इस मंत्रालय का प्रभार फिलहाल प्रकाश जावड़ेकर के पास था। जावड़ेकर के पास अब वन व पर्यावरण मंत्रालय है। रेल मंत्रालय सदानंद गौड़ा से छीनकर सुरेश प्रभु को सौंप दिया गया है। गौड़ा को अब विधि व कानून मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है जो अभी तक रविशंकर प्रसाद के पास था। इसी तरह जेपी नड्डा को स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री बनाया गया है जबकि अभी तक इस मंत्रालय का प्रभार देख रहे हर्षवर्धन को विज्ञान व तकनीक मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है। बीरेंद्र सिंह को पुरस्कृत करते हुए उन्हें ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेयजल व स्वच्छता मंत्री बनाकर पुरस्कृत किया गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद अब तक नितिन गडकरी के पास इस मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार था।

राजीव प्रताप रूड़ी को कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। उन्हें मुख्तार अब्बास नकवी के साथ संसदीय कार्य मामलों का राज्यमंत्री भी बनाया गया है। नकवी अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री भी हैं जबकि नजमा हेपतुल्ला कैबिनेट मंत्री बनी रहेंगी। बंडारू दत्तात्रेय को श्रम व रोजगार मंत्रालय का राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है जबकि महेश शर्मा को नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री के अलावा संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला है।

इससे पहले, मंत्रिमंडल के विस्तार पर महाराष्ट्र में शिवसेना व भाजपा के बीच जारी विवाद की छाया साफ दिखी जब शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने शपथ नहीं ली। वे शपथ लेने रविवार सुबह यहां आने के बाद हवाईअड्डे से ही मुंबई वापस लौट गए। जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली पूर्व की राजग सरकार में बिजली मंत्री रहे सुरेश प्रभु ने रविवार सुबह ही भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ली और उन्हें रेल मंत्री बना दिया गया। इकसठ वर्षीय प्रभु ऐसे समय में भाजपा में शामिल हो रहे हैं जब महाराष्ट्र में सरकार में शामिल होने के मुद्दे पर शिवसेना और भाजपा के बीच गतिरोध है। इससे पहले ब्रिसबेन में होने वाले समूह-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री की सहायता के लिए प्रभु को मोदी का ‘शेरपा’ नियुक्त किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिपरिषद के इस पहले विस्तार में 14 राज्यमंत्रियों को शामिल किया। इनमें मुख्तार अब्बास नकवी, रामकृपाल यादव, हरिभाई पार्थीभाई चौधरी, सांवर लाल जाट, मोहनभाई कल्याणजीभाई कुंडरिया, गिरिराज सिंह, हंसराज गंगाराम अहीर, प्रो. रामशंकर कठेरिया, जयंत सिन्हा, राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, बाबुल सुप्रियो, साध्वी निरंजन ज्योति, विजय सांपला (सभी भाजपा से) और वाईएस चौधरी (तेदेपा) शामिल हैं।
मई में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मंत्रिमंडल का विस्तार किया है और इसमें गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्री बनाया जाना तय माना जा रहा था। पर मोदी ने नड्डा को स्वास्थ्य व सुरेश प्रभु को रेल मंत्रालय सौंपकर सभी को चौंका दिया। इस विस्तार के साथ मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या 45 से बढ़कर 66 हो गई है जिसमें प्रधानमंत्री समेत 27 कैबिनेट मंत्री, 13 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 26 राज्यमंत्री शामिल हैं।

राष्ट्रपति भवन में हुए शपथग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद के सहयोगी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में वसुंधरा राजे, रमण सिंह, मनोहर लाल खट्टर के अलावा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं। कांग्रेस के अलावा विपक्षी दलों से कोई भी नेता समारोह में कोई शामिल नहीं हुआ। सपा के रामगोपाल यादव शपथग्रहण समारोह में शामिल होने वाले इकलौते विपक्षी नेता थे। शपथग्रहण समारोह में जाने से पहले नए मंत्रियों ने प्रधानमंत्री के सात रेसकोर्स स्थित आवास पर उनसे चाय पर मुलाकात की।