प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। पीएम मोदी के साथ 71 मंत्रियों ने भी शपथ ली है। पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में 30 कैबिनेट मंत्री, 36 राज्य मंत्री और 5 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार शामिल हैं। केरल के त्रिशूर लोकसभा सीट से बीजेपी के सुरेश गोपी चुनाव जीते हैं। सुरेश गोपी को भी मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली है और उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है। सोमवार को खबर आई कि सुरेश गोपी मंत्री पद छोड़ना चाहते हैं। हालांकि अब उन्होंने इस खबर पर अपना स्पष्टीकरण दिया है और इसे अफवाह बताया है। बीजेपी पहली बार केरल में कोई लोकसभा सीट जीती है।
सुरेश गोपी ने रखा अपना पक्ष
सुरेश गोपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, “कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म गलत खबरें फैला रहे हैं कि मैं मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने जा रहा हूं। यह सरासर गलत है। पीएम मोदी के नेतृत्व में हम केरल के विकास और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
सुरेश गोपी ने इस बात से इनकार किया कि वह कैबिनेट पद चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने कहा था, ”मैंने कुछ भी मांग नहीं की थी। मैंने कहा था कि मुझे यह (केंद्रीय मंत्रालय की भूमिका) नहीं चाहिए। मुझे लगता है मुझे जल्द ही राहत मिलेगी। त्रिशूर के सांसद के रूप में मैं बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हूं। मुझे फिल्में करनी हैं। उन्हें (भाजपा नेतृत्व को) फैसला करने दीजिए।” हालांकि गोपी ने कहा कि ये बात उन्होंने नहीं कही।
74,000 वोटों से जीते हैं सुरेश गोपी
सुरेश गोपी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को हराकर त्रिशूर लोकसभा सीट से 74,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। चुनावों से पहले गोपी ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि अगर वह जीते, तो उन्हें केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिलेगी।
जॉर्ज कुरियन को भी बनाया गया मंत्री
सुरेश गोपी के अलावा पीएम मोदी ने एक वकील और केरल बीजेपी महासचिव जॉर्ज कुरियन को भी अपने मंत्रिपरिषद में शामिल किया है। प्रभावशाली सिरो-मालाबार चर्च से आने वाले कुरियन पिछले चार दशकों से केरल भाजपा के संगठन प्रमुख रहे हैं। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष और अनुभवी भाजपा नेता ओ राजगोपाल के ओएसडी के रूप में कार्य किया है। कुरियन के मंत्रिमंडल में शामिल होने को 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले ईसाई समुदाय तक भाजपा की पहुंच से जोड़ा जा रहा है।