कैबिनेट मीटिंग में मोबाइल फोन के यूज पर रोक लगा दी गई है। नीति निर्माण और कैबिनेट के फैसलों की गोपनीयता और संवेदनशील जानकारी को लीक होने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह फैसला लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्रीय सचिवालय ने इस बारे में सर्कुलर जारी किया है। यह पीएमओ के निर्देश पर जारी हुआ है। इसमें निजी सचिवों से कहा गया है कि वे इस फैसले के बारे में अपने-अपने मंत्रियों को जानकारी दें किे कैबिनेट और कैबिनेट कमिटियों की बैठक में अब से स्मार्टफोन या मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इंटेलीजेंस जानकारी के अनुसार सरकार को आशंका है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी और चीनी खुफिया एजेंसियां फोन हैक कर सकती हैं। इससे पहले संवेदनशील विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों से कहा गया था कि वे अपने मोबाइल फोन को आधिकारिक कंप्यूटर या लैपटॉप से चार्जिंग के लिए भी कनेक्ट ना करें। साउथ ब्लॉक में पीएमओ, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को नो स्मार्टफोन जोन बना दिया गया है।
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गौरतलब है कि कई देशों में पहले से ही कैबिनेट बैठकों में मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है। ब्रिटेन और फ्रांस में इन पर बैन है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने साल 2010 में कैबिनेट मीटिंग में फोन लाने पर बैन लगा दिया था। पहीं फ्रांस ने साल 2014 में इस तरह का प्रतिबंध लगाया था। वहीं सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान बेस्ड आतंकी संगठन जैश का सरगना मौलाना मसूद अहजर फिर से भारतीय संसद पर हमला करने की सोच रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा बलों के सूत्रों से पता चला है कि इंटेलिजेंस एजेंसियों और जम्मू-कश्मीर सीआईडी को जैश की इस प्लानिंग की जानकारी दे दी गई है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक अगर जैश-ए-मोहम्मद संसद पर फिदायीन हमला करने में नाकाम रहता है तो वह दिल्ली सचिवालय को निशाना बना सकता है। इसके अलावा उसकी टारगेट लिस्ट में अक्षरधाम मंदिर और लोट्स टेम्पल भी है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि जैश के आकाओं ने अपने ऑपरेटिव्स (गुर्गों) को कहा कि अगर वह महत्वपूर्ण जगहों को टारगेट करने में फेल होते हैं तो भीड़भाड़ वाले इलाके (जैसे- बाजार और अन्य) में हमला करे। खुफिया विभाग ने इस संबंध में सुरक्षा अधिकारियों और संबंधित लोगों को जानकारी दे दी है, जिससे इस तरह की कोशिश को नाकाम किया जा सके।
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