कहते हैं तस्वीरें बहुत कुछ बयां कर जाती हैं। हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रही हैं। तमाम तस्वीरों में दोनों नेताओं की भाव-भंगिमा को लेकर कई तरह से व्याख्या की जा रही है। पीएम मोदी के सामने हाथ जोड़े खड़े एलके आडवाणी की मुद्रा को लेकर सोशल मीडिया पर काफी टिप्पणियां मौजूद हैं। लेकिन, तस्वीरों में जिस बेचारगी के साथ एलके आडवाणी मोदी के सामने खड़े हैं आखिर उसमें कितनी सच्चाई है? लोग पूछ रहे हैं कि यह आडवाणी की मजबूरी है या उनकी सहज आदत?
बीबीसी ने आडवाणी और मोदी की एक तस्वीर ट्वीट करके लोगों से कैप्शन मांगा। इस दौरान कई लोगों की टिप्पणियां गौर करने वाली भी रहीं। इस ट्वीट में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने आडवाणी की मुद्राओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि आडवाणी जिस मुद्रा में खड़े रहते हैं, असल में वह उनकी मजबूरी नहीं बल्कि सहज आदत है। वह अर्से से इस भाव-भंगिमा के साथ खड़े होते हैं। अभिसार ने ट्वीट किया, “इसमें आडवाणी जी की बेबसी तो बिल्कुल नहीं है। हाथ जोड़ कर खड़े रहने का उनका अर्से से अंदाज रहा है। इसे मोदी से जोड़ना गलत है।”
इसमे आडवाणी जी की बेबसी तो बिल्कुल नही है। हाथ जोड़ कर खड़े रहने उनका अर्से से अंदाज रहा है। इसे मोदी से जोड़ना गलत है । https://t.co/5xSZmiw6gt
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) December 26, 2018
कुछ ट्वीटर यूजर्स आडवाणी और मोदी की तस्वीरों को हाफ-ट्रूथ (अर्ध-सत्य) बता रहे हैं। लोगों ने तस्वीरों से जुड़े दूसरे पहलुओं को भी उजागर किया है। लोगों ने तर्क दिया कि सेकेंड मात्र के अंतर से तस्वीर में उपजी भंगिमा को आडवाणी की बेचरगी से जोड़ना उचित नहीं है। हालांकि, ट्वीटर पर भी लोग अलग-अलग माइंडसेट के हिसाब से व्याख्या करते हुए दिखाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर आडवाणी की अगर पुरानी तस्वीरों पर भी गौर करें तो हाथ जोड़कर खड़े रहने की उनका यह चीर-परिचित अंदाज रहा है।
This is original pic pic.twitter.com/lNANz3cbtr
— Subhash (@subsharma740) December 26, 2018
आडवाणी और मोदी की ऐसी ही तस्वीर मशहूर पत्रकार राणा अयूब ने भी ट्वीट किया। उनके ट्वीट पर भी सकारात्मक और और नकरात्मक टिप्पणियों की बौछार हुई। राणा ने तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “2002 में आडवाणी ने मोदी को निकाले जाने (गुजरात के सीएम पद से हटाने) से बताया था। आज उसकी पूर्ति उनका शिष्य वाजिब तरीके से कर रहा है।”
Advani saved Modi from being sacked as CM in 2002. Fitting payback by the disciple. pic.twitter.com/wUg0CpqpBE
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) December 26, 2018
हालांकि, आडवाणी से जुड़ी ऐसी कई तस्वीरें हैं जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा वह दूसरों के साथ भी हाथ जोड़े इसी मुद्रा में खड़े हैं। उदाहरण के लिए नीचे की यह तस्वीर आडवाणी के चीर-परिचित अंदाज को उजागर कर रही हैं। ऐसी अनेकों उनकी तस्वीरें अलग-अलग नेताओं के साथ हैं।

माना जाता है कि 2014 में पीएम पद को लेकर मोदी और आडवाणी के रिश्तों में बर्फ जमनी शुरू हो गई। उससे पहले भी आडवाणी अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुषमा स्वराज को आगे बढ़ाने का संकेत दे रहे थे। लेकिन, दिल्ली में जिस तरह नरेंद्र मोदी कायम हुए उसके बाद आडवाणी का राजनीतिक कद लगातार कम होता गया। राजनीति के जानकार मानते हैं कि बीते 4 सालों में कई ऐसे कारण रहे हैं, जिनसे मोदी और आडवाणी के बीच काफी दूरी पनपी है। ऐसे में जब भी ये दोनों नेता साथ होते हैं लोगों की नज़रें इनकी भाव-भगिमाओं पर टिक जाती है।