प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून के विरोध को लेकर विपक्षी दलों का हंगामा सिर्फ वोट बैंक पर कब्जा जमाना है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार दशकों पुरानी समस्याएं सुलझा रही है। सरकार के फैसलों पर जो लोग सांप्रदायिकता का रंग चढ़ा रहे हैं, उनका असली चेहरा देश देख और समझ रहा है। मंगलवार को नई दिल्ली राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेटों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक पर कब्जा करने की स्पर्धा में लगे हैं, आखिर किसके हितों के लिए ये लोग काम कर रहे हैं।” कहा, “ऐतिहासिक अन्याय को दुरुस्त करने के वास्ते भारत के पुराने वादे को पूरा करने के लिए आज जब हमारी सरकार संशोधित नागरिकता कानून (CAA) लेकर आई तो कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक की खातिर इसका विरोध कर रहे हैं।”
मोदी ने कहा कि सीएए का विरोध ऐसे लोग कर रहे हैं, जिन्होंने शत्रु सम्पत्ति कानून का भी विरोध किया था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों से वादा किया था कि जरूरत महसूस होने पर वे भारत आ सकते हैं। यही इच्छा गांधी जी की थी और यही भावना 1950 में नेहरू-लियाकत समझौते की भी थी।
#WATCH PM Narendra Modi addresses the National Cadet Corps (NCC) rally in Delhi. https://t.co/msPGC0n6Y6
— ANI (@ANI) January 28, 2020
मोदी ने कहा, “मैं फिर कहूंगा- देश देख रहा है, समझ रहा है। चुप है, लेकिन सब समझ रहा है।” उन्होंने कहा ‘‘मैं इसमें नहीं जाना चाहता कि देश जब आजाद हुआ था तब बंटवारा किसकी सलाह पर हुआ था, किन परिस्थितियों में हुआ था। हालांकि बंटवारे के बाद सीमा से जुड़े कुछ मुद्दे भी आए, लेकिन इनके समाधान के लिए कोई बड़े प्रयास नहीं हुए।” प्रधानमंत्री ने कहा, “हम जानते हैं कि हमारा पड़ोसी देश हमसे तीन-तीन युद्ध हार चुका है। हमारी सेनाओं को उसे धूल चटाने में हफ्ते-दस दिन से ज्यादा समय नहीं लगता।”
उन्होंने कहा कि आज युवा सोच है। युवा मन के साथ देश आगे बढ़ रहा है और इसलिए वह सर्जिकल स्ट्राइक करता है, एअर स्ट्राइक करता है और आतंक के सरपरस्तों को उनके घर में जाकर सबक सिखाता है। इसका परिणाम आप भी देख रहे हैं। युवा शक्ति का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, “जो लोग काम चलाने वाली प्रवृत्ति के होते हैं, उनके लिए कल कभी नहीं आता। इस स्थिति को मेरे आज का युवा भारत, मेरे भारत का युवा, स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है।”