Toolkit केस में दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है कि पीटर फैड्रिक इस मामले का मास्टरमाइंड है। जिस टूल किट को लेकर विवाद चल रहा है उसका नाम ग्लोबल फार्मर्स स्ट्राइक और ग्लोबल डे ऑफ एक्शन 26 जनवरी रखा गया था। उधर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने तंज कसते हुए सोमवार को ट्वीट किया कि जब भारत पूरी दुनिया के लिए PPE किट बना रहा था तो कुछ लोग भारतीयों के खिलाफ ही टूल किट बनाने में जुटे हुए थे।
एक अन्य ट्वीट में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने उन लोगों पर भी कटाक्ष किया, जिन्होंने दिशा रवि के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाने के लिए उनकी उम्र का हवाला दिया था। शेखावत ने कहा कि उम्र ही अगर मापदंड है तो 21 साल में शहीद हुए सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल पर वह गर्व करते हैं। उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उनकी यह टिप्पणी दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद आई है। बकौल शेखावत, यह बेहद शर्मनाक और राष्ट्र विरोधी काम है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दिशा की गिरफ्तारी पर कहा कि अपराध अपराध ही होता है।
पीटर फैड्रिक साल 2006 से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। पुलिस के मुताबिक पीटर फैड्रिक बताता था कि सोशल मीडिया पर किसे है टैग करना है, क्या हैशटैग करना है और किस पोस्ट को ट्रेंड करवाना है। पीटर फैड्रिक खालिस्तानी आतंकी भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी का साथी है। उसने 2018 में ट्विटर ज्वाइन किया था। वह पेशे से लेखक है। उसे साउथ एशिया के मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। उसके एक ट्वीट के मुताबिक, अगर आप भारत में RSS, MODI, BJP के खिलाफ ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं तो आपको निशाना बनाया जा सकता है। उसका कहना है कि इनसे बचने के लिए अपने अकाउंट को प्राइवेट बनाएं, डिलीट करें और अपना काम करते रहें।
पुलिस का कहना है कि ग्रेटा थनबर्ग ने 4 फरवरी को जो ट्वीट किया था, उसमें पीटर का जिक्र किया गया है। पुलिस के मुताबिक, भजन सिंह आईएसआई के लिए भी काम कर चुका है। एजेंसियों को शक है कि वह भारत विरोधी गतिविधयों में हमेशा एक्टिव रहता है। कुछ समय के लिए वह अमेरिका के ड्रग इनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन का ‘Person of Interest’रहा था। अभी वो psychological operations मैनेज करता है।
दिल्ली पुलिस के आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि दिशा रवि की गिरफ्तारी कानून के अनुरूप की गई है। कानून 22 से 50 वर्ष की आयु के लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता। दिशा रवि को गत शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था। उसको पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। उनका कहना है कि अब पुलिस मुंबई की वकील निकिता जैकब को तलाश कर रही है।
As far as Disha's arrest is concerned, it was done as per the procedures. Law doesn't differentiate between a 22-yr-old & a 50-yr-old. She was produced before a court which sent her to 5-day Police custody. It's false when people say that there were lapses in the arrest: Delhi CP pic.twitter.com/PSBA1iM2yk
— ANI (@ANI) February 16, 2021
While India was making PPE KIT for the World,
These ppl were making TOOL KIT against Indians.Shame!
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) February 15, 2021
If age is the criteria then Param Veer Chakra Second Lt Arun Khetarpal, martyred at 21 is who I am proud of.
Not some #toolkit propagandists!
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) February 15, 2021
टूलकिट केस- दिशा रवि की गिरफ्तारी पर बोले केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, कहा- अपराध-अपराध होता है…@girirajsinghbjp @amit_jurno #ToolkitCase #DishaRaviArrest pic.twitter.com/XDwVbMSYtF
— News24 (@news24tvchannel) February 16, 2021
पुलिस के रडार पर एक और शख्स पुणे का इंजीनियर शांतनु भी है। इन्होंने टूलकिट बनाकर किसान आंदोलन के बहाने भारत को बदनाम करने की साजिश रची थी। दिशा, निकिता और शांतनु के तार खालिस्तान समर्थित पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़े हैं। इन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़े मो धालीवाल के साथ जूम मिटिंग की थी। साजिश का खुलासा होने के बाद दिशा पुलिस की कस्टडी में है जबकि जैकब और शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है। निकिता जैकब और शांतनु ने गिरफ्तारी से बचने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दी है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि टूलकिट के जरिए डिजिटल स्ट्राइक करके भारत की छवि खराब करने की साजिश रची गई थी। दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु ने टूलकिट बनाई थी। ग्रेटा थनबर्ग को दिशा रवि ने टूलकिट भेजी थी। इसे टेलीग्राम के जरिए भेजा गया था। पुलिस ने दावा किया है कि रवि के टेलीग्राम अकाउंट से डेटा भी हटाया गया है।
पुलिस के मुताबिक डिजिटल हथियार का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर आंदोलन को हवा देने के लिए किया जाता है। पहली बार अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के दौरान इसका नाम सामने आया था। टूलकिट में आंदोलन को बड़ा बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की तरकीब होती है। पुलिस से बचने और सोशल मीडिया के सटीक इस्तेमाल की भी जानकारी इसके जरिए इसमें शामिल होने वाले लोगों को दी जाती है।

