दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म का दर्शन लोगों की वैज्ञानिक समझ का आह्वान कर रहा था कि वह परम सत्ता के प्रति न सिर्फ अपने पूर्वग्रहों से निकलें बल्कि ऊर्जा, विस्तार और सत्य की सार्वभौमिकता को जानें-समझें।
निकोला टेस्ला भी वेदांत दर्शन से काफी प्रभावित थे। 1907 में उन्होंने ‘मैन्स ग्रेटेस्ट अचीवमेंट’ शीर्षक से एक आलेख लिखा था। इस आलेख में उन्होंने ‘आकाश’ और ‘प्राण’ जैसे संस्कृत शब्दों का प्रयोग किया है। इस आलेख में वे कहते हैं, ‘जिन भी पदार्थों की अनुभूति की जा सकती है वे मूल रूप से एक ही तत्व या उस विरलता से निकले हैं, जिनकी कोई शुरुआत नहीं है, जिससे हर स्थान, आकाश या प्रकाशमान द्रव्य भरा हुआ है, जो जीवन देने वाले प्राण या रचनात्मक ऊर्जा से प्रभावित होता है।’
गौरतलब है कि टेस्ला पदार्थ-ऊर्जा संबंध को गणित के माध्यम से स्थापित करने में कामयाब नहीं हो पाए थे लेकिन वेदांत दर्शन के प्रभाव के कारण वे इसे स्वीकार जरूर करते थे। बाद में अल्बर्ट आइंस्टीन ने पदार्थ-ऊर्जा संबंध-समीकरण को साबित किया और यह एक तरह से वेदांत दर्शन के मूल विचार की वैज्ञानिक स्थापना थी।
संदर्भ और प्रमाण इस बात के भी मिलते हैं कि टेस्ला और विवेकानंद की भेंट हुई थी। इस मुलाकात के बाद से ही टेस्ला ने वेदांत दर्शन को गंभीरता से लेना शुरू किया था। इस बारे में बहुत स्पष्ट ब्योरा तो नहीं मिलता पर कुछ दस्तावेज जरूर इस तरफ संकेत करते हैं। इनमें पहला दस्तावेज खुद स्वामी विवेकानंद की लिखी एक चिट्ठी है जो उन्होंने शायद टेस्ला से मुलाकात के कुछ दिन पहले लिखी थी।
इसमें विवेकानंद कहते हैं, ‘मिस्टर टेस्ला सोचते हैं कि वे गणितीय सूत्रों के जरिए बल और पदार्थ का ऊर्जा में रूपांतरण साबित कर सकते हैं। मैं अगले हफ्ते उनसे मिलकर उनका यह नया गणितीय प्रयोग देखना चाहता हूं।’ विवेकानंद इसी पत्र में आगे कहते हैं कि टेस्ला का यह प्रयोग वेदांत की वैज्ञानिक जड़ों को सिद्ध कर देगा, जिनके मुताबिक यह अखिल विश्व एक अनंत ऊर्जा का रूपांतरण है।
माना जाता है कि विवेकानंद ने टेस्ला को आकाश यानी दो अणुओं के बीच के रिक्त स्थान (आकाश) का ज्ञान दिया था और यह ज्ञान टेस्ला की कई जिज्ञासाओं के साथ उनके वैज्ञानिक प्रयोगों को दिशा देने वाला साबित हुआ। वैसे भी टेस्ला के लिए दर्शन की तरफ झुकाव कोई नई बात नहीं थी। अतीत में भी उन्होंने दर्शन का अध्ययन किया था।
उनके पिता पादरी थे। यानी आध्यात्मिक रुझान के बीज उनमेंपहले से भी थे। इस संदर्भ में जो और तथ्य या दस्तावेज अहम हैं, उनमें इंटरनेशनल टेस्ला सोसायटी के अध्यक्ष रहे टॉबी ग्रोट्ज का एक महत्त्वपूर्ण आलेख है। ग्रोट्ज इसमें जिक्र करते हैं कि एक सार्वजनिक कार्यक्रम में विवेकानंद और निकोला टेस्ला की मुलाकात हुई थी। ल्ल

