पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट आफ एनीमल्स (पेटा) इंडिया और कुछ अन्य संगठनों ने जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ को अनुमति देने वाली केंद्र की हालिया अधिसूचना निरस्त करने की मांग की है। इस संगठनों ने इस संबंध में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कीं। इन पर मंगलवार को सुनवाई होगी। पेटा इंडिया ने दावा किया कि सरकार की परामर्श संस्था भारतीय जीव कल्याण बोर्ड (एडब्लूबीआइ) और इसके दो वर्तमान सदस्यों के याचिकाकर्ता के रूप में और पशु संरक्षण संगठन पेटा, ‘फेडरेशन आफ इंडियन एनीमल प्रोटेक्शन आर्गनाइजेशन’, ‘कंपेसन अनलिमिटेड प्लस एक्शन’ के समर्थन में इन याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की पीठ के सामने उल्लेख किया गया।

पेटा इंडिया ने दावा किया कि इनके अलावा, सौम्य रेड्डी, राधा राजन और गौरी मौलेखी ने भी याचिकाएं दायर की हैं। बयान में कहा गया है कि सभी याचिकाओं में सात जनवरी 2016 की पर्यावरण मंत्रालय की उस अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई जिसमें तमिलनाडु के जल्लीकट्टू जैसे सांड़ों के प्रयोग वाले कार्यक्रमों और देश के अन्य भागों में बैलगाड़ी दौड़ को अनुमति दी गई थी। इन याचिकाओं को अत्यावश्यक रूप से सूचीबद्ध करने की मांग की गई है। इस पर मंगलवार को सुनवाई होगी।

पेटा इंडिया ने कहा कि जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ को अनुमति देने वाली पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बावजूद आई है जिसमें कहा गया था कि मंत्रालय इन दौड़ों को अनुमति नहीं दे सकता है। एडब्लूबीआइ से सलाह मशविरा किए बगैर 11 जुलाई 2011 (सांड़ों का जबरन कार्यक्रम में प्रयोग पर प्रतिबंध) की अधिसूचना में संशोधन नहीं कर सकता।

पेटा इंडिया की मुख्य पदाधिकारी पूर्वा जोशीपुरा ने कहा, ‘सांड़ों को डराना और घायल करना उत्पीड़न है, खेल नहीं। इसके साथ जल्लीकट्टू कार्यक्रमों में आम लोगों का घायल होना और उनकी मौत दुनिया की नजरों में भारत की प्रतिष्ठा पर खूनी धब्बे लगाती है।’ उन्होंने कहा,‘कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का कुछ मतलब होना चाहिए और हम एक बार फिर इस बात की पुष्टि के लिए शीर्ष अदालत की तरफ देखेंगे कि जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ को अनुमति नहीं होनी चाहिए।’
दिसंबर 2015 में एडब्लूबीआइ ने मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नहीं जाने की सलाह दी थी।