यह जाना-माना तथ्य है कि रासायनिक कीटनाशकों का खेती-बाड़ी में इस्तेमाल उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है। यह खेतों में काम कर रहे किसानों और मजदूरों के लिए भी जानलेवा होता है। कीटनाशकों से भूजल और हवा प्रदूषित होती है और मिट्टी में लंबे समय तक इसका असर रहता है।

‘नेचर जियोसाइंस’ में छपे शोध के मुताबिक, पूरी दुनिया में कृषि भूमि के 64 फीसद हिस्से पर कीटनाशकों का कुप्रभाव पड़ रहा है जिससे मानव स्वास्थ्य के साथ जैव विविधता को खतरा बढ़ेगा। जानकारों के मुताबिक, यह स्थिति भारत जैसे देश के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि भारत में कीटनाशकों को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रभावी कानून नहीं है।

हाल के शोध में वैज्ञानिकों ने 168 देशों में 90 से अधिक कीटनाशकों के प्रभाव का अध्ययन किया और पाया कि दुनिया की करीब दो तिहाई कृषि भूमि (245 लाख वर्ग किलोमीटर) पर कीटनाशकों के कुप्रभाव दिख रहे हैं। इसमें से लगभग 30 फीसद भूमि पर यह खतरे कहीं अधिक गहरे हैं। शोध में रूस और यूक्रेन जैसे देशों में कीटनाशकों के प्रभाव को लेकर चेतावनी दी गई है। भारत और चीन भी उन देशों में हैं, खतरा सर्वाधिक है।

कीटनाशक हवा और मिट्टी को प्रदूषित करने के साथ नदी, पोखर और तालाबों जैसे जलस्रोतों और भूजल को भी प्रदूषित कर रहे हैं। रासायनिक कीटनाशक फसलों के जरूरी मित्र कीड़ों को मार कर उपज को हानि पहुंचाते हैं और तितलियों, पतंगों और मक्खियों को मारकर परागण की संभावना कम कर देते हैं। इससे जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है। इन हालात में खाद्य सुरक्षा के लिए संकट की आशंका भी जताई जा रही है।

भारत में जनसंख्या दबाव और घटती कृषि योग्य भूमि के कारण कीटनाशकों का इस्तेमाल नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। समस्या यह है कि भारत में कोई प्रभावी नियम नहीं हैं। देश में पांच दशक पुराना कीटनाशक अधिनियम -1968 लागू है। इसमें किसी कीटनाशक की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर मंजूरी, विपरण और इस्तेमाल के नियम आसान हैं।

भारत अमेरिका, जापान और चीन के बाद दुनिया में कीटनाशकों का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है। साल 2014-15 और 2018-19 के बीच भारत में कीटनाशकों का उत्पादन 30,000 टन बढ़ गया। भारत में कुछ बेहद हानिकारक कीटनाशकों को कृषि में इस्तेमाल करने की भी अनुमति है, जिन्हें दूसरे कई देशों में प्रतिबंधित किया गया है।

कीटनाशकों के इस्तेमाल को लेकर एक नया विधेयक लाने की कोशिश यूपीए-1 सरकार के वक्त 2008 में की गई, लेकिन तब संसद में पेश नहीं किया जा सका। उसके बाद साल 2017 में नरेंद्र मोदी सरकार ने विधेयक संसद में पेश किया, लेकिन पारित नहीं हो सका। सरकार ने फिर से कीटनाशक प्रबंधक अधिनियम -2020 विधेयक संसद में पेश किया।

देश के आठ राज्य कुल कीटनाशकों में का 70 फीसद इस्तेमाल करते हैं। एक साल में देश में 72,000 टन से अधिक रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल का आंकड़ा उपलब्ध है। महाराष्ट्र, यूपी और पंजाब कीटनाशकों को इस्तेमाल करने में आगे हैं। करीब 57 फीसद कीटनाशक सिर्फ दो फसलों झ्र कपास और धान झ्र में इस्तेमाल किए जाते हैं।

जैविक खेती इस दिशा में प्रभावी और टिकाऊ हल है, लेकिन इसके लिए सरकार के स्तर पर कवायद कम दिखती है। भारत में अब तक जैविक खेती चुनिंदा किसान आंदोलनों और सामाजिक संगठनों के भरोसे आगे बढ़ी है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2015-16 में पारंपरिक कृषि विकास योजना शुरू की, लेकिन अब तक सिर्फ सिक्किम ही पूर्ण रूप से जैविक खेती को अपना सका है।