आंध्र उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करने संबंधी चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

चंद्रबाबू नायडू को लेकर देश के दो दिग्गज वकील आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में आपस में भिड़ते दिखे। हरीश साल्वी नायडू की पैरवी कर रहे थे तो मुकुल रोहतगी सरकार की तरफ से पेश हुए थे। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देख फैसला टाल दिया। जस्टिस पहले गहन मंथन करेंगे।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कौशल विकास निगम घोटाला मामले में गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से जुड़ी उनकी याचिका पर मंगलवार को आदेश सुरक्षित रख लिया। अदालत ने नायडू और आंध्र प्रदेश सीआईडी की तरफ से पश वकीलों की दलीलें सुनीं। नायडू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि सीआईडी ने मामले में राज्यपाल से पूर्व अनुमति नहीं ली थी। उनका कहना था कि पुलिस को जांच से पहले गवर्नर से अनुमति लेने की अनिवार्य आवश्यकता है।

सीआईडी की ओर से मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि सीआरपीसी की धारा 17(ए) तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख नायडू पर लागू नहीं होती है। उन्होंने अदालत से कहा कि मामले में आगे गहन जांच की आवश्यकता है। रोहतगी ने कहा कि सरकारी धन का गबन हुआ है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। नायडू को कौशल विकास निगम में धन के दुरुपयोग से जुड़े मामले में नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। ऐसे आरोप हैं कि धन के दुरुपयोग से राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। नायडू वर्तमान में राजामहेंद्रवरम केंद्रीय जेल में बंद हैं।