राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार (1 सितंबर, 2019) से ट्रैफिक अपराधों में पकड़े गए शहर के लोग मौके पर अपना जुर्माना नहीं भर पाएंगे। जुर्माना भरने के लिए उन्हें अब कोर्ट में जाना होगा। ऐसा इसिलए है क्योंकि दिल्ली सरकार को ट्रैफिक अपराधों के ऑन-द-स्पॉट निपटान से संबंधित अधिनियम की एक धारा के तहत नए दंड को अधिसूचित करना बाकी है।

दरअसल 28 अगस्त को केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कर कहा कि 63 खंड, जिनमें यातायात उल्लंघन के लिए उच्च दंड के प्रावधान शामिल हैं, में संशोधित एमवी अधिनियम 1 सितंबर से लागू होगा। इसके बाद, सभी राज्य सरकारों को उन अपराधों से संबंधित अधिसूचना जारी करने की जरुरत थी जो जुर्माना अदा करके ऑन-द-स्पॉट निपटाए जा सकते हैं। इन अपराधों को “समझौता” अपराधों के रूप में भी जाना जाता है। समझौता अपराध का मतलब है प्रवर्तन एजेंसियों (यातायात और परिवहन अधिकारियों) और अपराधी के बीच ऑन-द-स्पॉट समझौता होना।

समझौता एक त्वरित तरीका है जिसमें एक चालान का निपटान किया जा सकता है। एमवी एक्ट राज्य सरकार को कंपाउंडिंग (समझौता) दरों को अधिसूचित करने का अधिकार देता है – जिसमें जुर्माना भरने के लिए मौके पर भुगतान किया जाना चाहिए। मगर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने शनिवार को कहा कि जब तक वह यातायात पुलिस और अन्य हितधारकों के साथ “विस्तृत विचार-विमर्श” नहीं करती है, कंपाउंडिंग अपराधों पर अधिसूचना जारी नहीं करेगी।

बता दें कि शनिवार तक एमवी अधिनियम के तहत 98 अपराधों में से सिर्फ 17 जैसे ड्रिंक-ड्राइविंग, परमिट उल्लंघन, ट्रैफिक अधिकारियों के साथ खराब बर्ताव मौके पर नहीं सुलझाया जा सकता था और इसे अदालत में हल किया जाना था। मगर रविवार से सभी अपराधों को कोर्ट में हल करने की जरुरत होगी।

नाम नाम छापने की शर्त पर एक सीनियर ट्रैफिक अधिकारी ने बताया, ‘रविवार से सिर्फ कोर्ट के चालान जारी किए जाएंगे और मौके पर तब तक फाइन नहीं लिया जाएगा जब तक कि दिल्ली सरकार समझौता अपराधों के तहत जुर्माना को अधिसूचित नहीं करती है। हमने इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए गुरुवार को राज्य के परिवहन विभाग को एक पत्र लिखा है।’