Supreme Court Raps Centre: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को उसके निर्देश के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए नकद रहित चिकित्सा उपचार की योजना नहीं लाने के लिए फटकार लगाई। साथ ही देरी के लिए स्पष्टीकरण देने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा।

जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने यह भी चेतावनी दी कि वह इस मामले में कोर्ट की अवमानना ​​के लिए कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।

पीठ ने कहा कि सरकार को दिया गया समय 15 मार्च, 2025 को समाप्त हो गया है। हमारे अनुसार, यह न केवल इस कोर्ट के आदेशों का बहुत गंभीर उल्लंघन है, बल्कि यह कानून में एक बहुत ही लाभकारी खंड को लागू करने में विफलता का मामला है। हम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने और केंद्र सरकार की ओर से चूक के बारे में बताने का निर्देश देते हैं।

जस्टिस ओका ने कहा कि हमारे पास लंबा अनुभव है। जब हमारे यहां शीर्ष सरकारी अधिकारी आते हैं, तभी वे कोर्ट के आदेशों को गंभीरता से लेते हैं। अन्यथा वे इसे (गंभीरता से) नहीं लेंगे।

मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि योजना तैयार कर ली गई है, लेकिन इसे लागू करने में कुछ “अड़चनें” आ रही हैं।

लेकिन जस्टिस ओका ने कहा कि आपकी चूक की वजह से लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। हम इसे हल्के में नहीं ले सकते।

जज ने कहा कि हम इसे बहुत स्पष्ट कर रहे हैं। इसके लिए हम अवमानना ​​का नोटिस भी जारी करेंगे, अगर हमें नहीं लगता कि कोई प्रगति हुई है…यह आपका अपना कानून है। लोग इसलिए जान गंवा रहे हैं क्योंकि कैशलेस इलाज नहीं है।बनर्जी ने कहा कि हमने बड़ी संख्या में बैठकें की हैं, हमने यथासंभव प्रयास किया है।

Supreme Court: ‘उन्हें अकेला छोड़ दें, आगे बढ़ने दें…’, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- महिलाओं के लिए लोगों की मानसिकता बदलनी होगी

जस्टिस ओका ने कहा कि हम किसी को दोषी नहीं ठहरा रहे हैं। यह आपका कानून है। इसे लागू नहीं किया गया है… हम सचिव को सुनेंगे। उन्हें स्पष्टीकरण देने दीजिए। अन्यथा, हम आपको नोटिस भेज रहे हैं, हम अवमानना ​​के तहत कार्रवाई करेंगे। हम समय व्यतीत कर रहे हैं और ऐसे आदेश पारित कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष 8 जनवरी को सरकार से कहा था कि वह 14 मार्च तक ‘गोल्डन ऑवर’ अवधि में मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपचार की योजना लेकर आए।

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(12-ए) के अनुसार, स्वर्णिम घंटा किसी दर्दनाक चोट के बाद के एक घंटे की अवधि को संदर्भित करता है, जिसके तहत समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से मृत्यु को रोकने की सबसे अधिक संभावना होती है।

यह भी पढ़ें-

Express Adda: ‘तेजस्वी यंगर ब्रदर’, एक्सप्रेस अड्डा में चिराग बोले- लालू परिवार से संबंध आज भी अच्छे

Dearness Allowance: योगी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को दी गुड न्यूज! महंगाई भत्ते में किया इजाफा