पेगासस स्पाइवेयर मामले को लेकर जारी विवाद के बीच भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि पेगासस स्पाइवेयर एक कमर्शियल कंपनी है जो पेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर काम करती है। ऐसे में भारतीय “ऑपरेशन” को अंजाम देने के लिए अगर केंद्र नहीं तो किसने उस कंपनी को पैसे दिए थे?

मंगलवार को स्वामी ने ट्वीट किया कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि Pegasus Spyware एक कमर्शियल कंपनी है जो पेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर काम करती है। इसलिए प्रश्न उठता है कि भारतीय “ऑपरेशन” के लिए उन्हें किसने भुगतान किया। भारत सरकार ने अगर नहीं किया तो किसने किया? भारत के लोगों को बताना मोदी सरकार का कर्तव्य है। बताते चलें कि पेगासस स्पाइवेयर मामले को लेकर स्वामी लगातार हमलवार हैं।

इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि गृह मंत्री संसद में बताना चाहिए कि सरकार का उस इजरायली कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है, जिसने हमारे टेलीफोन टैप टेप किए हैं। नहीं तो वाटरगेट की तरह सच्चाई सामने आएगी और हलाल के रास्ते बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी।

इधर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने दुनिया भर में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग को ”बेहद चिंताजनक” बताते हुए सोमवार को सरकारों से उनकी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाने का आह्वान किया, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो।

गौरतलब है कि एक वैश्विक मीडिया संघ की जांच से पता चला है कि इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने एक बयान में कहा, ”विभिन्न देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग के बारे में खुलासे बेहद चिंताजनक हैं। सरकारों को अपनी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगानी चाहिये, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो।”