जद (एकी) नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को दिल्ली में राष्ट्रपति के सामने विधायकों की परेड कराकर अपना दम दिखाने की कोशिश की तो वहीं उनके मंसूबों पर अदालत का हथौड़ा भी पड़ा। पटना हाई कोर्ट ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष के नीतीश कुमार को जद (एकी) विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता देने के फैसले पर रोक लगा दी। उन्हें मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के स्थान पर विधायक दल का नेता चुना गया था। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थक और जद (एकी) विधायक राजेश्वर राज की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायधीश एलएन रेड्डी और न्यायमूर्ति विकास जैन के खंडपीठ ने यह आदेश दिया। न्यायालय इस मामले में अब आगामी बुधवार को सुनवाई करेगा।
अदालत के खंडपीठ ने कहा-हमारा अभिप्राय विधानसभा सचिव के जारी पत्र (नीतीश को विधायक दल का नेता चुनने की मान्यता) की वैधानिक स्थिति पर विचार करना है, ताकि राज्यपाल के फैसले लेने में इस पत्र का कोई कानूनी महत्व नहीं रहे।
राजेश्वर ने अपनी याचिका में सात फरवरी को जद (एकी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव की बुलाई गई पार्टी विधायक दल की बैठक को अवैध ठहराने के साथ ही नीतीश कुमार को विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता देने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री होने के नाते सदन के नेता के तौर पर मांझी के आगामी 20 फरवरी को विधायक दल की बैठक बुलाए जाने के बावजूद ऐसा किया गया। जद (एकी) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के पत्र के बाद विधानसभा के प्रभारी सचिव हरेराम मुखिया ने नीतीश को विधायक दल का नया नेता चुने जाने को लेकर पिछली सात फरवरी को एक पत्र जारी किया था।
याचिकाकर्ता के वकील एसबीके मंगलम ने दलील पेश की कि विधानसभा अध्यक्ष ने नीतीश को जद (एकी)विधायक दल के नए नेता के रूप में मान्यता राज्यपाल से कोई मशविरा किए बगैर ही दे दी। खंडपीठ के समक्ष बिहार विधानसभा सचिवालय का पक्ष रख रहे वाईवी गिरी ने दलील दी कि यह याचिका एक राजनीतिक प्रश्न है, जो सुनवाई के योग्य नहीं है और इसमें ऐसा कोई कानूनी प्रश्न नहीं है, जिस पर अदालत फैसला ले। गिरी की इस दलील पर खंडपीठ ने कहा कि उनकी मंशा उक्त पत्र के कानूनी पहलुओं की जांच-परख करना है।
वहीं बिहार भाजपा ने अदालत के फैसले का स्वागत किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि नीतीश ने ‘गैरकानूनी’ और ‘असंवैधानिक’ तरीके से खुद को बिहार विधानमंडल में जद (एकी) विधायक दल का नेता चुनवा लिया था और पटना हाई कोर्ट ने उस पर वस्तुत: रोक लगाकर संविधान की रक्षा की है। पांडेय ने बिहार विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मांझी के स्थान पर नीतीश को विधायक दल के नेता की मान्यता प्रदान किए जाने पर सदन के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पर निशाना साधते हुए उन पर नीतीश के प्रभाव में आकर उनके पक्ष में ऐसा पत्र जारी करने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर दिल्ली में नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करके उनसे कहा कि बिहार में फैसला लेने में हो रही देरी राज्य के वातावरण को प्रदूषित कर रही है। मोदी सरकार बिहार में विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने राज्यपाल पर भी इस मामले में कथित सांठगांठ करने का आरोप लगाया। राष्ट्रपति ने उन्हें हालात पर विचार करने का आश्वासन दिया है। कुमार ने आरोप लगाया कि राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी का फैसला लेने में देरी करने का मकसद नई सरकार के गठन में बाधा उत्पन्न करना है।
राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई आमंत्रण नहीं मिलने पर अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार नीतीश अपने समर्थक विधायकों के साथ मंगलवार रात दिल्ली पहुंचे थे। उनके साथ जद (एकी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, राजद नेता लालू प्रसाद और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी थे।
इस मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि जिस तरह से निर्णय में विलंब किया जा रहा है यह साफ संकेत है कि केंद्र के इशारे पर विधायकों की खरीद की जा रही है। इरादा साफ है और वे बहुमत की सरकार नहीं बनने देना चाहते। बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सात फरवरी को मांझी के स्थान पर जद (एकी) के नए विधायक दल के नेता के रूप में नीतीश को मान्यता दी थी।
नियमों का उल्लंघन नहीं : चौधरी:
नीतीश को विधायक दल के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने पर अदालती रोक के बीच विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने अपने निर्णय को सही ठहराते हुए उसे नियमानुकूल बताया। चौधरी ने कहा-निर्णय पूर्ण रूप से सही है और नियमानुकूल व संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार है। विधानसभा सचिवालय को जद (एकी) के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण के जीतनराम मांझी के स्थान पर नीतीश कुमार को विधायक दल के नए नेता के तौर पर चुने जाने के दिए गए पत्र के आधार पर मान्यता प्रदान की गई थी। उन्होंने कहा कि मांझी मुख्यमंत्री के तौर पर सदन के नेता बने हुए हैं।
20 को बहुमत साबित करें मांझी : राज्यपाल:
बिहार के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने बुधवार देर रात मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से कहा कि वे 20 फरवरी को बहुमत साबित करें। बिहार में के राजनीतिक खींचतान के बीच राज्यपाल के रुख पर सबकी नजरें थीं। जहां पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जद (एकी) के 130 विधायकों की राष्ट्रपति के सामने परेड करवा चुके हैं वहीं राज्यपाल के इस आदेश ने मांझी को भी अपना दांव लगाने का मौका दिया है।