पठानकोट आतंकी हमले से पहले जिन चार आतंकियों ने गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह, राजेश वर्मा और एसपी के कुक मदन गोपाल का अपहरण किया था वे हिंदी और उर्दू में बात कर रहे थे। चार आतंकियों में एक को बाकी तीन ‘मेजर’ कहकर बुला रहे थे। उन्‍होंने सात-आठ बार फोन पर किसी कमांडर से बात की थी। यह खुलासा किया है, राजेंद वर्मा ने, जो कि गुरदास पुर के एसपी और उनके कुक के साथ उस वक्‍त गाड़ी में थे, जब आतंकियों ने अपहरण किया। पेशे से ज्‍वैलर राजेंदर उस वक्‍त कार डृाइव कर रहे थे, जब आतंकियों ने उन्‍हें रोका था। राजेंद वर्मा साढ़े चार घंटे आतंकियों के साथ रहे, बाद में दहशतगर्दों ने गला काट दिया और मरा हुआ समझकर छोड़ गए थे। उनके गले में 40 टांके आए हैं। ‘इंडियन एक्‍सप्रेस’ से बातचीत में राजेंश ने बताया, ‘मैं कार चला रहा था। एसपी साहब मेरे साथ आगे बैठे थे, जबकि उनका कुक पीछे था। जब हमने गाड़ी रोकी तो ये सोचा था कि वे सैनिक हैं।’

राजेश ने बताया कि वह गाड़ी ड्राइव कर रहे थे। जब गाड़ी कोलियां गांव के पास पहुंची तो आर्मी की वर्दी पहने चार आतंकियों ने उन्हें रुकने के लिए हाथ दिया। आर्मी की वर्दी देखकर उसने यह सोचते हुए ब्रेक लगा दी कि शायद चेकिंग के लिए रोका जा रहा है। जैसे ही उसने खिड़की का शीशा नीचे किया, आंतकियों ने उसकी कनपटी पर गन लगा दी और जबरन अंदर घुस गए। उन्होंने सलविंदर सिंह के हाथ बांधकर कुक मदनलाल के साथ पिछली सीट पर बिठा दिया था। गाड़ी में बैठने के बाद वे आपस में पंजाबी में बात करने लगे कि पहले जिसकी कार छीनी थी, उसे तो मार दिया। अब इनका क्या करें? वे अपने टारगेट तक पहुंचने में पहले ही एक दिन लेट हो चुके हैं और अब ज्यादा समय बर्बाद नहीं कर सकते। सलविंदर सिंह और उनके कुक मदन लाल को फेंकने के बाद आतंकियों ने राजेश से पूछा कि वह बंदा कौन था तो उसने जवाब दिया कि गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह।

राजेश के अनुसार, ‘एक आतंकी ने मुझसे पूछा कि एसपी कौन होता है? जब मैंने बताया कि एसपी पुलिस का बड़ा अफसर होता है तो चारों आतंकी हैरान रह गए। इसके बाद उनमें से एक ने पाकिस्तान में किसी को फोन किया और बताया कि जो गाड़ी उन्‍होंने छीनी थी, वह बड़े पुलिस अफसर की थी। इस पर दूसरी तरफ से उन्हें सलविंदर सिंह को मारने के लिए कहा गया।’ राजेश ने बताया कि फोन पर मिले निर्देशों के बाद उन्होंने गाड़ी वापस मुड़वाई और उस जगह पहुंचे जहां सलविंदर सिंह को फेंका गया था। वहां जब ढूंढ़ने पर सलविंदर सिंह नहीं मिले तो आतंकी झल्ला गए और वापस गाड़ी में बैठ गए और कार अकालगढ़ की ओर मुड़वा ली। वहां पहुंचकर उन्होंने गाड़ी खेतों में रुकवाई और चाकू से मेरा गला रेंत दिया। आतंकी राजेश को मरा हुआ समझकर छोड़ एयर फोर्स बेस की बाउंड्री वॉल की ओर भाग गए थे। राजेश ने थोड़ी देर बाद हिम्मत जुटाकर अपने हाथ खोले और गर्दन को शर्ट से बांधा। किसी तरह वह पास के एक गांव में पहुंचे। उन्‍होंने एक आदमी को रोककर उसके फोन से अपने जीजा राजकुमार को कॉल की और पुलिस को भी सूचना दी।

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