पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमला करने वाले आतंकवादी चार और दो के समूहों में आए थे और उनके पाकिस्तानी आकाओं ने बड़े समूह को फटकारा था कि वे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में पीछे कैसे रह गए जबकि उनके सहयोगी परिसर में पहले ही पहुंच चुके थे। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि छह आतंकवादियों के समूह के दो आतंकवादी चार अन्य द्वारा पंजाब के एक पुलिस अधीक्षक का अपहरण किए जाने और क्षेत्र में उनकी मौजूदगी को लेकर अलर्ट जारी किए जाने से काफी पहले ही शायद पठानकोट वायुसेना अड्डे में घुस गए थे।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बात की ‘काफी आशंका’ है कि कम से कम दो आतंकवादी पंजाब पुलिस के एसपी सलविंदर सिंह, उनके ज्वेलर मित्र राजेश वर्मा और सिंह के रसोइए का 31 दिसंबर को एक एसयूवी गाड़ी के साथ अपहरण किए जाने के पहले ही वायुसेना अड्डे में घुस गए। वर्मा का गला रेत दिया गया था लेकिन वह बच गए। वर्मा ने पूछताछ करने वाले अधिकारियों को बताया कि अपहरण करने के बाद वाहन में घुस आए चारों आतंकवादियों की अपने आकाओं से बातचीत को उन्होंने सुना था जो संभवत: पाकिस्तान में थे।

आकाओं ने चारों आतंकवादियों को यह कहकर जाहिरा तौर पर फटकारा कि क्यों वे लोग वायुसेना अड्डे में प्रवेश नहीं कर सके जबकि दो अन्य आतंकवादी पहले ही लक्ष्य पर पहुंच गए हैं। जांच के ब्योरे के मुताबिक चारों आतंकवादियों ने अपने आकाओं से कहा कि वे रास्ते में ही थे लेकिन वायुसेना अड्डे तक नहीं पहुंच सके क्योंकि रास्ते में कई पुलिस नाके थे।

सूत्रों ने कहा कि ऐसी आशंका भी है कि ये चारों आतंकवादी एक जनवरी की सुबह वहां वायुसेना अड्डे के अंदर घुसे। क्षेत्र के सभी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए उस दिन शाम को अलर्ट जारी किया गया था। अपहृत वाहन भी वायुसेना वायुसेना अड्डे के पास बरामद हुआ। पंजाब पुलिस के एसपी के इस दावे की पुष्टि में कई घंटे बर्बाद कर दिए गए कि आतंकवादियों ने उनका और दो अन्य लोगों को अपहरण कर लिया था।

सूत्रों ने बताया कि सलविंदर ने शुरू में जिन पुलिस अधिकारियों को आतंकवादियों के बारे में बताया, उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिससे समय बर्बाद हो गया। सुरक्षा एजंसियों को संदेह है कि कुल छह आतंकवादी थे, जो दो हिस्सों में बंटे हुए थे। इनमें एक समूह में चार और दूसरे में दो आतंकवादी थे। चार आतंकवादियों वाला पहला दल शनिवार को मारा गया, जबकि दूसरे समूह वाले दो उग्रवादी अभी तक गोलीबारी कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि हमला करने वाले आतंकवादी मुंबई में हमला करने वाले आतंकवादियों से कहीं ज्यादा प्रशिक्षित थे। उन्होंने हमले के दौरान जिस तरह की रणनीति अपनाई उससे लगता है कि पेशेवर सेना ने उन्हें प्रशिक्षित किया है।

उग्रवादियों ने इस हमले के दौरान पेशेवर लड़ाकों जैसी चालें चलीं, जैसे गोलियां बचाना, सवेरे 3 बजे हमला करना, जब चौकसी सबसे कम होती है और खामोश पड़े रहना जिससे ऐसा लगे कि सभी हमलावर मारे जा चुके हैं। इस तरह की रणनीति आम तौर पर सेना द्वारा अपनाई जाती है। आतंकवादियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से पांच किलोमीटर के फासले पर स्थित गुलपुर-संबोली के पास टोयोटा इनोवा के एक चालक इकादर सिंह को उठाया था। इससे लगता है कि उन्होंने इसी इलाके के आसपास से सीमा पार की। आतंकवादियों ने बाद में चालक को मार डाला।

राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) पठानकोट हमले की जांच करेगी। एनआइए चालक की मौत और पुलिस अधीक्षक के अपहरण की घटना की भी जांच करेगी। एजंसी इस संबंध में एसपी और उसके खानसामे से पूछताछ कर चुकी है, जो वाहन में उसके साथ ही था। एसपी ने शुरू में कहा था कि चार आतंकवादी थे।