बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भ्रामक विज्ञापन की वजह से पहले ही सुप्रीम कोर्ट से फटकार पड़ चुकी है, अब सोनपापड़ी का एक सैंपल भी चांज में फेल हो गया है।
असल में 5 साल पहले पतंजलि की सोनपापड़ी का क्वालिटी टेस्ट किया गया था, लेकिन उस टेस्ट में वो फेल हो गई। इस मामले में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के सहायक प्रबंधक और तीन अन्य लोगों को 6 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है, तीनों पर भारी जुर्माना भी ठोक दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के लिए बता दें कि 17 सितंबर 2019 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के एक दुकान से पतंजलि की इलाइची सोनपापड़ी का सैंपल लिया गया था, बाद में रुद्रपुर में एक लैब में उस सोनपापड़ी की टेस्टिंग की गई। अब जब उसकी रिपोर्ट सामने आई तो पता चला है पतंजलि की सोन पापड़ी तय मानकों पर नहीं उतरी है और उसके सारे सैंपल फेल हो गए।
पतंजलि को राहत क्या मिली?
इस मामले में शनिवार यानी कि 18 मई को कोर्ट में सुनवाई हुई थी और तब खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 206 के तहत तीनों आरोपियों को 6 महीने की सजा सुना दी गई। जिस दुकान से सोनपापड़ी का सैंपल लिया गया था, उसके मालिक पर भी ₹5000 का जुर्माना लगा है। वैसे ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में पतंजलि को फिर झटका ही लगा हो, बाबा रामदेव की कंपनी के लिए राहत वाली बात ये है कि जिन 14 प्रोडक्ट पर पहले बैन लगा दिया गया था, अब उसे हटा दिया गया है।
पहले क्यों पड़ी थी फटकार?
वैसे अगर पुराने मामले की बात करें तो उसमें भ्रामक विज्ञापन को लेकर भी पतंजलि की काफी किरकिरी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा था कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने उनके आदेश की अवहेलना की है। अभी के लिए उस मामले में दोनों की तरफ से माफी मांग ली गई है, लेकिन ज्यादा राहत मिलती नहीं दिख रही।