ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ (एआईपीएमएम) संगठन ने बिहार जाति सर्वेक्षण पर आधारित एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें केंद्र सरकार से मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून लाने और ‘बुलडोज़र कल्चर’ की जांच करने की बात कही गई है। यह रिपोर्ट बताती है कि मॉब लिंचिंग और आरोपियों पर बुलडोजर एक्शन जैसी ज्यादतियों का शिकार हुए लगभग लोग पसमांदा मुस्लिम समाज से आते हैं। AIPMM पिछड़े मुसलमानों काम करता है।

क्या कहती है यह रिपोर्ट?

दिल्ली में जारी की गई रिपोर्ट में पसमांदा मुसलमानों की खराब सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखते हुए निजी क्षेत्रों में उनके लिए आरक्षण की भी मांग की गई है। AIPMM ने रिपोर्ट में लिखा कि हम आरएसएस, बीजेपी और एआईएमआईएम की राजनीति को एक-दूसरे का पूरक मानते हैं।

यह रिपोर्ट बताती है कि मॉब लिंचिंग और सरकारी बुलडोजरों की ज्यादतियों के शिकार लोगों में से 95 फीसदी पसमांदा समुदाय से हैं। AIPMM ने मांग की है कि इसके खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए।– जिस जिले में ऐसी घटना हो वहां के कलेक्टर और एसपी को इसके लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। ऐसी घटनाओं में मृतक के परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए और उस परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए।

AIMIM और BJP की आलोचना

भाजपा और एआईएमआईएम की आलोचना करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे पूर्वजों ने मोहम्मद अली जिन्ना के दो राज्यों के प्रस्ताव और वीडी सावरकर के हिंदू राष्ट्र दृष्टिकोण दोनों को दरकिनार कर दिया था और हमारा संगठन पसमांदा महाज़ पिछले 25 वर्षों से इसी भावना के साथ काम कर रहा है।

बिहार जाति सर्वेक्षण का हवाला देते हुए रिपोर्ट कहती है कि केवल 0.34 प्रतिशत पसमांदा (ईबीसी प्लस ओबीसी) मुसलमानों के पास आईटीआई/समान डिप्लोमा हैं और उनमें से केवल 0.13 प्रतिशत के पास इंजीनियरिंग स्नातक की डिग्री है। उनमें से केवल 2.55 प्रतिशत कला/विज्ञान/वाणिज्य स्नातक हैं, और केवल 0.03 प्रतिशत पसमांदा मुसलमानों के पास चार्टर्ड अकाउंटेंट और पीएचडी की डिग्री है। यह रिपोर्ट ऐसे ही और भी दावे करती है।

एआईपीएमएम के संस्थापक और पूर्व सांसद अली अनवर अंसारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बिहार जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट में पसमांदा मुसलमानों की खराब सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक स्थिति की एक झलक दिखाई देती है। अगर राष्ट्रव्यापी जनगणना होती है तो हमें और ज्यादा जानकारी मिल सकेगी कि क्या हालात हैं।