अगले हफ्ते से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र पर सबकी निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि महाराष्ट्र में दोस्त से दुश्मन बने दल केंद्र में सहयोगी बने रहते हैं या नहीं? विचारधारा के आधार पर भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना महाराष्ट्र में विपक्षी दल की बेंचों पर बैठी है जबकि उसका नेता नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल का सदस्य है। यहां दिलचस्प बात यह है कि संसद के सत्र से पहले शरद पवार की राकांपा महाराष्ट्र में भाजपा के नए सहयोगी के रूप में सामने आई है जबकि दिल्ली में यह कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए का दूसरा सबसे बड़ा घटक है।
शिवसेना के प्रवक्ता व राज्यसभा में पार्टी के नेता संजय राउत ने पत्रकारों को बताया- हमने अपनी भविष्य की कार्ययोजना पर कोई फैसला नहीं किया है। कई मुद्दों पर असहमति है। कुछ मुद्दों पर हमारे मतभेद हैं। शिवसेना में सत्ता हासिल करने या विपक्ष में बैठने के मुद्दे पर खींचतान जारी प्रतीत होती है। पार्टी का एक धड़ा अब भी चाहता है कि शिवसेना भाजपा के साथ सत्ता में भागीदार बने। जबकि दूसरा धड़ा चाहता है कि पार्टी विपक्ष की भूमिका निभाए। यह स्थिति तब है जब देवेंद्र फडणवीस सरकार के महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए अपनाए गए तरीके से भाजपा और शिवसेना के बीच की खाई गहराई है।
भाजपा का भी एक धड़ा उस राकांपा के समर्थन के कारण असहज है, जिसे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान ‘नेचुरली करप्ट पार्टी’ (स्वाभाविक तौर पर भ्रष्ट दल) बताया था। इस धड़े का मानना है कि अगर भाजपा महाराष्ट्र में राकांपा का समर्थन लेती है तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। वहीं दूसरी ओर पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर भी भाजपा के प्रति अपने समर्थन और दोनों दलों के बीच की नई मैत्री का संकेत देते हुए दो दिन पहले (सफाई अभियान के लिए) झाड़ू उठा ली थी।
शुक्रवार को पवार ने अपनी बेटी व सांसद सुप्रिया सुले व महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार समेत अपने परिवार के सदस्यों और पार्टी के महासचिव डीपी त्रिपाठी के साथ मिलकर अपने गृहनगर बारामती में कैमरों के बीच एक सड़क की सफाई की थी।
पवार का यह कदम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के ‘स्वच्छ भारत’ अभियान के संदेश पर अमल के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि इस अभियान पर राकांपा की एक अलग छाप छोड़ने के प्रयास के तहत, पवार ने कुछ दिन पहले पुणे में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया था। इस सम्मेलन में उन्होंने यह घोषणा की थी कि महाराष्ट्र में तेजी से फैलते डेंगू के मामलों को ध्यान में रखते हुए उनकी पार्टी के कार्यकर्ता सफाई अभियान चलाएंगे। नई दिल्ली में राकांपा ने कयासों को गलत साबित करते हुए जवाहरलाल नेहरू पर कांग्रेस के दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने का फैसला किया है। यह सम्मेलन सोमवार से शुरू हो रहा है।
पवार ने त्रिपाठी से इस समारोह में शामिल होने के लिए कहा है और राकांपा के महासचिव ने इस संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल को पहले ही सूचित कर दिया है। कांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती पर आयोजित इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा के किसी अन्य नेता को आमंत्रित नहीं करते हुए मोदी के खिलाफ अपने अभियान को जारी रखा है।
कांग्रेस मोदी पर आरोप लगाती रही है कि वे स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं को हथियाने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने पवार को निमंत्रण दिया है। लेकिन राकांपा द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत के दौरान भाजपा को समर्थन दिए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस संशय की स्थिति में थी।