संसद में गतिरोध का कोई हल नहीं निकलने का संकेत देते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘चुप्पी’’ पर सवाल खड़े किये और स्पष्ट किया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और भाजपा के दो मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे तक संसद चलने नहीं दी जाएगी।
विवादास्पद भूमि विधेयक को लेकर राजग सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष गांधी ने कहा कि यह ‘‘किसान विरोधी सरकार’’ है और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों की भूमि आसानी से नहीं ‘‘लेने देंगे।’’
गांधी ने आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में किसान पदयात्रा के दौरान कहा, ‘‘मोदी ने कहा था कि न खाऊंगा और ना ही खाने दूंगा। लेकिन फिलहाल उन्हें कुछ नहीं दिख रहा है, न व्यापमं, न वसुंधरा राजे और ना ही वह जो सुषमा स्वराज ने किया।’’
गांधी ने याद दिलाया कि मोदी लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान रोज भाषण देते थे। उन्होंने कहा, ‘‘लोग अब पूछ रहे हैं कि जो व्यक्ति हर दिन बोलता था वह चुप क्यों हो गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सवाल आम आदमी के मन का है। प्रधानमंत्री को कुछ बोलना चाहिए। इससे :नहीं बोलकर: उन्हें नुकसान हो रहा है।’’
गांधी ने स्पष्ट संकेत दिये कि कांग्रेस सुषमा और मुख्यमंत्रियों वसुंधरा राजे तथा शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की अपनी मांग से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा कि उन्होंने संसद में स्पष्ट किया है कि इस्तीफे देने तक यह नहीं चलेगी।
भूमि विधेयक पर उन्होंने आरोप लगाया कि राजग सरकार ‘‘किसान विरोधी सरकार’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने कल कहा, मोदी जी को केवल अपने पांच छह उद्योगपति मित्रों से मतलब है। वे पांच छह से ज्यादा नहीं हैं, शायद पांच भी नहीं।’’
संसद में गतिरोध खत्म करने के वास्ते भूमि विधेयक में संशोधन कर राज्यों को अपना कानून तैयार करने की छूट देने के सरकार के कदम का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि किसानों ने जब अपनी ताकत दिखाई तो प्रधानमंत्री समझ गए कि वह किसानों पर जोर नहीं चला सकते।
गांधी ने कहा, ‘‘हमने तो भारत के किसानों की 10 फीसदी ताकत भी नहीं दिखाई है और अचानक प्रधानमंत्री को समझ आ गया कि वह देश के किसानों दबा नहीं सकते।’’
अपनी पदयात्रा के दौरान एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दोस्तों से एक अलिखित वादा किया था कि वह किसानों से जमीन ले लेंगे और इस बारे में उन्होंने देश को कुछ नहीं बताया।
गांधी ने किसानों और महिला स्वयं सहायता समूहों के सामने आने वाली समस्याओं को उठाने के लिए 10 किलोमीटर लंबी ‘पदयात्रा’ की शुरूआत जिले के एक गांव से की। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने संसद में एक रूख अपनाया है और वह प्रधानमंत्री को इतनी आसानी से किसानों की भूमि नहीं लेने देगी। कांग्रेस और इस देश के किसानों ने प्रधानमंत्री को अपनी थोड़ी ताकत दिखाने का फैसला कर लिया है।’’
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि किसानों के संघर्ष के बाद प्रधानमंत्री ने अपना मन बदल लिया। कांग्रेस ने किसानों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस किसानों के लिए लड़ी। हम सरकार और प्रधानमंत्री से लड़े। और प्रधानमंत्री तथा सरकार ने भूमि विधेयक के बारे में अपना मन बदल लिया।’’ साथ ही कहा कि कांग्रेस किसी से भी नहीं डरती है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘उसी तरह, प्रधानमंत्री किसानों से जमीन लेना चाहते हैं वह इस राज्य के लोगों से पोलावरम लेना चाहते हैं और विशेष दर्जा नहीं देना चाहते हैं।’’
कांग्रेस नेता ने राज्य के विशेष दर्जे और पोलावरम परियोजना के लिए नहीं ‘लड़ने’ पर मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू नीत सरकार और विपक्षी वाईएसआरसीपी की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री के सारे इरादे जानता हूं। लेकिन इस राज्य के मुख्यमंत्री और दूसरी पार्टी का इरादा नहीं जानता हूं। मुझे समझ में नहीं आता कि ये पार्टियां विशेष दर्जे के लिए क्यों नहीं लड़ती। मुझे समझ नहीं आता कि दोनों पार्टियां पोलावरम के लिए क्यों नहीं संघर्ष करती।’’
गांधी ने कहा कि कांग्रेस आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जे और पोलावरम परियोजना के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।