केंद्र सरकार ने मंगलवार को यहां नए संसद भवन में पहले दिन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने वाला एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया। यह विधेयक 27 सालों से पेंडिंग पड़ा हुआ था। कानून एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच संविधान विधेयक, 2023 पेश किया।

बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान बीजेपी की तरफ से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी अपनी बात रखेंगी। वहीं, कांग्रेस की ओर से पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी बहस की शुरुआत करेंगी। जानकारी के मुताबिक, अधिकांश पार्टियां आज अपनी महिला सांसदों को चर्चा के दौरान बोलने का मौक़ा दे सकती हैं।

ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस का रुख

रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर अपना रुख बदल दिया है। मंगलवार को, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी की ओबीसी पिच के लिए मंच तैयार किया और इसके बाद महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल सहित वरिष्ठ नेताओं की टिप्पणियां आईं।

कांग्रेस के रुख में बदलाव अचानक नहीं हुआ है और यह पिछले कुछ समय से चल रहा है। INDIA गठबंधन की पार्टियों द्वारा जाति जनगणना पर जोर देने के साथ महिला कोटा विधेयक में ओबीसी कोटा की मांग शामिल होने की संभावना है। सोशल जस्टिस और ओबीसी एकीकरण की यह राजनीति (मंडल 2.0), जैसा कि कुछ राजनीतिक टिप्पणीकारों ने कहा है भाजपा के हिंदुत्व मुद्दे पर गठबंधन का जवाब होगी।

महिला आरक्षण बिल से खुश नहीं उमा भारती

वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने मांग उठाई कि महिला कोटे की आधी सीटें एससी/एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित की जाएं, साथ ही मुस्लिम समुदाय की पिछड़े वर्ग की महिलाओं को भी इसका लाभ मिले।

लोकसभा में 33 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित

महिला आरक्षण से जुड़े विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों द्वारा पारित किए जाने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। इस कानून के प्रभावी होने के बाद लोकसभा में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी और महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। वर्तमान लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या सिर्फ 82 है। इस संशोधन में वर्तमान में महिला आरक्षण को सिर्फ 15 सालों के लिए लागू करने का प्रावधान है। हालांकि, भविष्य में संसद इस अवधि को बढ़ा भी सकती है।