कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को लोकसभा में केंद्र सरकार पर कोरोना की दूसरी लहर को निशाना साधा। पिछले साल अप्रैल-मई में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी। लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर, अस्पताल में बेड की किल्लत समेत अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इसे लेकर कांग्रेस सांसद ने केंद्र से सवाल किया कि क्या इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR)ने महामारी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को गुमराह किया या पीएम ने संगठन को?
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ” स्वास्थ्य मंत्री ने विस्तार से जवाब दिया है। इसकी मैं सराहना करता हूं। लेकिन देश की नोडल मेडिकल रिसर्च एजेंसी कही जाने वाली आईसीएमआर के काम को लेकर दूसरा पक्ष भी है। उदहारण के तौर देश में कोविड के समय सुपर मॉडल के मुद्दे पर चर्चा की गई थी। यह आईसीएमआर के जनरल इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल रिसर्च में अक्टूबर 2020 में प्रकाशित हुआ था। इसमें अनुमान जताया गया था कि महामारी की पीक सितंबर 2020 में गुजर गई। प्रटोकॉल्स का पालन करते हुए देश फरवरी 2021 तक संक्रमण को कंट्रोल किया जा सकता है।”
अधीर रंजन ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री समेत सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने सुपरमॉडल की खूब बात की। मोदी जी ने फरवरी 2021 में कहा था कि कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई ने दुनिया के बाकी हिस्सों को प्रेरित किया, लेकिन मुश्किल से दो महीने बाद भारत में विनाशकारी दूसरी लहर आई। इस दौरान कोरोना के रिकॉर्ड मामले सामने आए। इस दौरान लाखों लोग मारे गए और काफी लोग गंभीर रूप से बीमार हुए।”
अधीर रंजन ने इसके बाद सवाल करते हुए कहा, “ मैं मंत्री जी से सवाल करना चाहता हूं क्या आईसीएमआर ने प्रधानमंत्री को गुमराह किया या प्रधानमंत्री ने खुद आईसीएमआर को गुमराह किया। ” स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने अपने जवाब में कहा कि अनुसंधान संस्थान आईसीएमआर की वजह से भारत ने ओमिक्रोन के कारण आई कोरोना की तीसरी लहर से सामना किया।
मांडविया ने कहा, “दुनिया में तीसरी कोविड लहर में मौतों की संख्या कमोबेश दूसरी लहर के समान थी। लेकिन भारत में तीसरी को लहर में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। इसका कारण है कि अधिकांश आबादी का टीकाकरण किया गया था और टीका स्वदेशी रूप से बनाया गया था।” उन्होंने कहा कि संस्थान न केवल कोविड प्रबंधन बल्कि अन्य प्रकार के चिकित्सा अनुसंधान पर शोध करना जारी रखेगा।