Parliament Security Breach: दिल्ली पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में दायर एक पूरक आरोपपत्र में कहा है कि 2023 संसद की सुरक्षा में हुई चूक और अंदर घुसे आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए कैमिकल को लेकर बताया है कि विस्फोटक के रूप में काम कर सकते हैं। लखनऊ के सागर शर्मा और मैसूर के मनोरंजन डी. कथित तौर पर दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे।

सुरक्षा घेरा तोड़ लोकसभा में आरोपियों ने नारे लगाए और पीले रंग का धुआं छोड़ने वाले कनस्तर खोले, जिससे वहां मौजूद सांसदों में दहशत फैल गई। पुलिस ने बताया कि दो अन्य आरोपियों यानी नीलम आजाद और अमोल शिंदे ने कथित तौर पर नए संसद भवन के बाहर धुएं के कनस्तर खोले थे।

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जांच के लिए भेजा गया था केमिकल और जूते

इस मामले में पुलिस का कहना है कि घुसपैठियों ने कनस्तरों को छिपाने के लिए अपने जूतों में कुछ बदलाव कर लिए थे। उन्होंने जूतों के तलवों को रबर का उपयोग करके मोटा कर दिया गया था, तथा अन्दर से काटकर एक छेद बना दिया गया था।

जांच के दौरान पुलिस को छह प्रयोग किए कनस्तर और गैर इस्तेमाल कनस्तर मिला, जिसे उन्होंने 1 जनवरी, 2024 को गुजरात के गांधी नगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय भेज दिया गया था। साथ ही जूतों को भी फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया। सूत्रों ने बताया कि डिब्बों में, लोकसभा कक्ष के अंदर जहां उन्हें खोला गया था, तथा दो आरोपियों के जूतों में रसायनों के अंश पाए गए हैं।

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फॉरेंसिक रिपोर्ट में क्या निकला?

एक सूत्र के अनुसार, दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कहा गया है कि रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनों में क्लोराइड, नाइट्रेट, सल्फेट, पोटेशियम और अमोनियम आयन जैसे स्मोक बम की अवशिष्ट विशेषताएँ मौजूद हैं। इन आयनों की मौजूदगी से पता चलता है कि आमतौर पर ‘स्मोक बम’ बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री जैसे पोटेशियम नाइट्रेट और अमोनियम क्लोराइड धुएं के उत्पादन में ऑक्सीडाइज़र और अभिकारक के रूप में काम करते हैं।

इस चार्जशीट में यह भी बताया गया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट में सल्फेट आयनों का पता लगाना सल्फर या सल्फर युक्त यौगिकों जैसे पदार्थों की उपस्थिति का संकेत दे सकता है, जो धुएं के घनत्व और अपारदर्शिता में योगदान करते हैं। इसलिए, प्रस्तुत किए गए प्रदर्शन विस्फोटक के रूप में कार्य कर सकते हैं।

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आरोपियों के वकील ने क्या कहा?

संपर्क करने पर अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता सोमर्जुन VM ने कहा कि यह कृत्य विशुद्ध रूप से एक विरोध था, और उन्होंने ध्यान आकर्षित करने के लिए कनस्तर का इस्तेमाल किया। यह खतरनाक नहीं है; यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और सरकार द्वारा इसकी अनुमति दी गई है। यह पुलिस द्वारा अपनी लापरवाही छिपाने का मामला है।

बता दें कि पुलिस ने चारों आरोपियों के जले हुए मोबाइल फोन के अवशेष भी फोरेंसिक जांच के लिए भेजे हैं, जो 17 दिसंबर 2023 को राजस्थान के नागौर से बरामद किए गए थे। हालांकि, पता चला है कि विशेषज्ञ कोई डेटा रिकवर नहीं कर पाए। एक सूत्र ने बताया कि एक लैपटॉप भी जब्त किया गया और जांच के बाद डेटा को पुनः प्राप्त किया गया। लैपटॉप से ​​संसद में इस्तेमाल किए गए एक पैम्फलेट की आंशिक फोटोंज मिली है। संसद से जुड़ी अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।