भारतीय रुपया (Indian Rupee) पिछले कुछ दिनों से लगातार कमजोर होता जा रहा है। इसी को लेकर राज्यसभा में मंगलवार (2 अगस्त, 2022) को कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा। प्रमोद तिवारी ने कहा कि मुझे याद आ रहा है कि 2013 में एक माननीय मुख्यमंत्री ने कहा था कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू गिरती है, तो देश का मान सम्मान गिरता है। क्या अमृत महोत्सव समाप्त होने से पहले रुपया प्रधानमंत्री की उम्र से नीचे आ जाएगा या नहीं।

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी के इस सवाल के जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रमोद तिवारी वरिष्ठ नेता हैं। मैं उनको याद दिलानी चाहती हूं कि तब और अब में बहुत अंतर हैं। उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है, उसके बावजूद भारत की करेंसी बरकरार है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध, कोरोना, ओमीक्रॉन इन तमाम व्यवधानों के बावजूद भारत अन्य देशों के मुकाबले मजबूत स्थिति में खड़ा है।

राज्यसभा में आंकड़े पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी से पहले कई चीजों पर 22 राज्यों में वैट लगाया गया था। ये कहना बहुत आसान है कि ये पहले कभी हुआ ही नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि 5 प्रतिशत जीएसटी सिर्फ पहले से पैक और लेबल वाली वस्तुओं पर है, लेकिन खुले खाद्य पदार्थों पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया है।

मनोज झा बोले- सरकार ने कफन पर भी जीएसटी लगा दी

आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि पालने से लेकर कब्र तक कोई ऐसी चीज नहीं छोड़ी है, जिस पर जीएसटी ना लगी हो। कब्र में दाह संस्कार की लकड़ी पर तो कम से कम इंसान सुकून से जाए दुनिया को अलविदा कहते हुए। कफन में जेब नहीं होती है और सरकार ने उसकी मौत से पहले ही उसकी जेब ढीली कर दी।

अप्रैल 2021 में महंगाई दर 4.23% थी, अप्रैल 2022 में 7.79% हो गई है: गोहिल

कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि महंगाई की दर अप्रैल 2021 में 4.23 प्रतिशत थी। वही महंगाई ठीक एक साल बाद अप्रैल, 2022 में 7.79 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि मिनिस्टर ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के मॉनिटरिंग डिपार्टमेंट ने अपने आंकड़ों में कहा है कि राइस का प्राइस 1 मई, 2014 में 26.17 रुपए था। वही 1 मई, 2022 को 35.85 रुपए हो गया। गेहूं 20.05 रुपए था, बीजेपी सरकार ने 28.08 रुपए कर दिया।

बता दें, रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक आर्थिक चुनौतियों, मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों सहित अन्य मुद्दों के मद्देनजर आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बाद इस साल की शुरुआत से रुपये में डॉलर के मुकाबले कमजोरी देखी जा रही है।