Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है। पिछले चार दिन से संसद की कार्यवाही लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रही है। विपक्ष बुधवार यानी आज मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रहा है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार रात ये एलान किया। अधीर रंजन चौधरी सुबह 10 बजे इसका नोटिस लोकसभा अध्यक्ष को सौंपेंगे। कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है।

अविश्वास प्रस्ताव से क्या होगा?

विपक्षी दल इस प्रस्ताव को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा संसद में बयान की अपनी जिद पूरी करना चाहते हैं। दरअसल अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री को बयान देना होता है। इसके बाद वोटिंग भी होती है। सरकार के पास सदन में पर्याप्त संख्याबल है। ऐसे में सरकार को कोई खतरा नहीं है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल दलों ने यह साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री के सदन में बयान के बाद ही मणिपुर पर चर्चा शुरू करने के अपने रुख पर वे कायम हैं।

देर रात तक तैयार हुए मसौदा

अविश्ववास प्रस्ताव के मसौदे को लेकर देर रात तक विपक्षी दलों की बैठक जारी रही। इसमें सभी वरिष्ठ नेता शामिल रहे। बता दें कि जो भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाता है उसे ऐसा प्रस्ताव देने के लिए सदन की अनुमति मांगनी होगी और जिस दिन वह प्रस्ताव लाएगा उस दिन सुबह 10 बजे तक लोकसभा के महासचिव को प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होती है। सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जा सकता है। इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए ही करीब 50 विपक्षी सांसदों का समर्थन होना जरूरी है।

अविश्वास प्रस्ताव के मायने क्या हैं?

अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए और सदन के 51% सांसद अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं, तो यह पारित हो जाता है। इसके पारित होने पर माना जाता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और उसे पद से इस्तीफा देना होगा। सरकार को या तो विश्वास मत लाकर सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है।