रविवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पहली बरसी के अवसर पर केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान एक साथ नजर आए। हालांकि दोनों के बीच दूरी साफ-साफ दिखाई दी। पारस ने रामविलास पासवान की पत्नी का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। बरसी में रामविलास पासवान की पहली पत्नी भी पहुंची थीं, लेकिन सांसद प्रिंस राज और कृष्ण राज वहां नहीं पहुंचे थे।
पूरे कार्यक्रम में चाचा-भतीजे के बीच दूरी बनी रही। जब पारस पासवान की तस्वीर पर माल्यार्पण किया तो चिराग वहां नहीं थे। इसी तरह पूजा के दौरान भी दोनों के बीच दूरी बनी रही। पारस के साथ उनके पुत्र यशराज मौजूद थे लेकिन रामचंद्र पासवान के पुत्र सांसद प्रिंसराज और कृष्णराज को नहीं देखा गया।
उल्लेखनीय है कि रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच दूरियां बढ़ गईं। चाचा पारस ने चिराग पासवान को छोड़कर पार्टी के अन्य सांसदों को अपने खेमे में मिलाकर खुद को लोक जनशक्ति पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया है। वह मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बन गए हैं। पारस का मानना है कि चिराग ने बिहार का विधानसभा चुनाव एनडीए से अलग होकर लड़कर एक बड़ी गलती की थी।
हालांकि, राजनीतिक गलियारों में रामविलास की पहली बरसी को लेकर सरगर्मी थी। चिराग ने जिस तरह से पीएम मोदी, सोनिया गांधी समेत बिहार के सारे दिग्गजों को आमंत्रित किया था, उससे माना जा रहा था कि वह शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। बरसी कार्यक्रम के लिए छपवाए गए कार्ड पर चाचा पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज का भी नाम अंकित करवाया गया था।
चिराग की तरफ से संकेत दिए गए थे कि वह परिवार में सुलह चाहते हैं। वह खुद चाचा पारस को निमंत्रण देने गए थे। इस समय लोजपा दो गुटों में बंटी हुई है। पहला गुट पारस का है तो दूसरा चिराग पासवान का। दोनों ही लोजपा पर दावा कर रहे हैं।