रफाल सौदे में अनिल अंबानी की सहायता के आरोप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर विपक्षी पार्टियां लगातार हमला बोल रही हैं। इस बीच लोकसभा की संसदीय समिति ने एक नोटिस जारी कर संसद के समक्ष एनपीए के उन सभी हाई प्रोफाइल फ्रॉड लोगों की लिस्ट मांगी है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने पीएमओ को भेजी थी। यह नोटिस संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के द्वारा 10 दिन पहले भेजा गया है। नोटिस के माध्यम से पीएमओ को यह भी साझा करने को कहा गया है कि फ्राॅड करने वालों के खिलाफ मोदी सरकार क्या कार्रवाई कर रही है।
द वायर के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के फर्जीवाड़े के बड़े मामलों की एक सूची प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी थी, ताकि उन सभी मामलों की गंभीरतापूर्वक जांच हो सके। इसके साथ ही उन्होंने पीएमओ को इस बात से भी अवगत कराया था कि किस तरह बेईमान प्रमोटरों द्वारा ओवर-इनवॉयसिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इसके बाद किसी तरह की कार्रवाई न होते देख रघुराम राजन ने मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति को 17 पन्नों में विस्तृत जानकारी दी।
संसदीय समिति ने 17 पन्नों के जवाब के बाद यह नोटिस जारी किया है। साथ ही समिति ने कोयला और बिजली मंत्रालयों को भी नोटिस जारी किए हैं। आरबीआई के गर्वनर उर्जित पटेल, वित्त सचिव हसमुख आधिया, बैंकिंग सचिव राजीव कुमार को नोटिस भेज कमिटि के समक्ष उपस्थित होकर यह बताने को कहा है कि उन्होंने एनपीए फ्राॅड को लेकर क्या कार्रवाई की है। समिति ने पीएमओ और अन्य मंत्रालयों को राजन सूची जैसे “प्रामाणिक दस्तावेज” भेजने के लिए के लिए कहा है और समिति के समक्ष बताने को कहा गया है कि उन्होंने क्या कदम उठाया है।
बड़े एनपीए डिफाल्टर जैसे संवेदनशील मामले पर नोटिस भेजने के बाद सरकार के बड़े नेताओं के बीच अफरातफरी का माहौल कायम हो गया है। बताया जा रहा है कि बी सी खांडुरी को रक्षा संसदीय समिति के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया और उनके जगह पर पिछले हफ्ते कलराज मिश्र को लाया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि रक्षा समिति ने मोदी सरकार द्वारा सशस्त्र बलों की रक्षा तैयारियों पर प्रतिकूल टिप्पणी की थी। चर्चा यह भी है कि आम चुनाव से पहले मुरली मनोहर जोशी को भी उनके पद से हटाया जा सकता है, लेकिन ऐसा करना काफी मुश्किल होगा। वैसे भी विपक्ष हमेशा मोदी सरकार पर पूंजपतियों के समर्थन का आरोप लगाती रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को ‘सूट-बूट की सरकार’ भी कहा है।