Seema Haider इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। बहुत सारे लोगों का यह मानना है कि सीमा हैदर एक पाकिस्तानी जासूस है, जिसका भेद समय से पहले खुल गया। आज हम आपको बताने जा रहे हैं पाकिस्तान के एक ऐसे जासूस की कहानी जिसने अपने बेटे तक का एडमिशन इंडिया में करवा दिया।

दरअसल बात साल 1984 की है, पाकिस्तान में जन्म लेने वाले सैय्यद अहमद मोहम्मद देसाई ने कोल्हापुर की रहने वाली बीबी जोहरा से निकाह किया। पुलिस रिकॉर्ड्स के अनुसार, सैय्यद अहमद मोहम्मद देसाई के परिवार ने साल 1996 में अटारी रेल चेकपोस्ट के रास्ते 45 दिन के वीजा पर भारत में एंट्री की। इससे पहले भी वो कई बार भारत आ चुका था। भारत आने का मकसद देसाई कपड़े और ड्राई फ्रूट्स बेचना और बिजनेस करना बताता था। हालंकि इसी दौरान वह कराची के एक अस्पताल की कैंटिन में काम करता था।

8 अक्टूबर 1996 को देसाई और उसकी पत्नी ने 11 अक्टूबर 1996 तक के देश में रहने के लिए टेंपरेरी परमिट हासिल कर लिया। हालांकि दोनों इसके बाद भी पुणे में जगह बदल-बदल कर रहते रहे। उन्होंने अपने एक सहयोगी की मदद से कोल्हापुर में एक घर भी किराए पर ले लिया। उसने शहर में फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर एक ड्राइविंग लाइसेंस और एक राशन कार्ड भी बनवाया।

जांच के दौरान यह भी पता चला कि देसाई ने अपने बेटे का एडमिशन शहर के एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में करवाया है। इसके लिए उसने आगरा के एक स्कूल की फर्जी टीसी जमा की थी। इतना ही नहीं, उसने कोल्हापुर नगर परिषद से अपनी बेटी का एक बर्थ सर्टिफिकेट भी बनवाया। इसके अलावा पुलिस ने उसके पास से एक इंडियन पासपोर्ट भी बरामद किया, जिसपर उसका फोटा था और नाम लिखा था साहिबजादा बड़े सहजिब शेख। इस पासपोर्ट के जरिए देसाई दो बार पाकिस्तान गया- एक बार अटारी रेल पोस्ट के जरिए, दूसरी बार मुंबई एयरपोर्ट से।

कैसे गिरफ्त में आया देसाई?

पाकिस्तानी जासूस सैय्यद अहमद मोहम्मद देसाई के जीवन में सबकुछ सही चल रहा था। वह खुद को भारतीय बनाकर अपना काम कर रहा था लेकिन जून 14 1999 को पुणे पुलिस इंस्पेक्टर सुरेंद्र बापू पाटिल को एक टिप मिली कि कोई सीक्रेट जानकारी पाकिस्तान भेज रहा है। इसके बाद उन्होंने देसाई को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। तब उसकी उम्र 38 साल थी।

जांच में पुलिस को पता चला कि देसाई पाकिस्तान के कराची का रहने वाला था और ISI का एक एजेंट था। उसके पास से इंडियन आर्मी से जुड़े कई महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स मिले। वह पाकिस्तान के मिलिट्री इंटेलीजेंस अधिकारियों यूसूफ और खुर्रम नाम के अधिकारियों के नाम पर ऑपरेट कर रहा था। इसके बाद उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई, देसाई को दोषी पाया गया और उसे जेल भेज दिया गया लेकिन स्टोरी यहीं पर खत्म नहीं होती है। वह 8 साल तक जेल में रहा और जब पाकिस्तान डिपोर्ट जाने से पहले वो पुलिस स्टेशन से भाग गया, हालांकि तीन हफ्ते बाद उसे कोलकाता से गिरफ्तार किया गया है और फिर वाघा के रास्ते पाकिस्तान भेज दिया गया।