Indian Voter ID: पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का फैसला किया तो बड़ी संख्या में ऐसे लोग जिनके पास पाकिस्तान की नागरिकता थी, वे भारत से चले गए। इस दौरान एक शख्स का वीडियो काफी वायरल हुआ। इस शख्स का नाम ओसामा था। ओसामा ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में कहा था कि वह 2008 में पाकिस्तान के रावलपिंडी से जम्मू कश्मीर के बारामूला जिले के उरी में आ गया था।

ओसामा के द्वारा वीडियो में किए गए एक दावे को लेकर तमाम लोग हैरान हो गए थे। ओसामा का दावा था कि उसके पास पाकिस्तान की नागरिकता है और उसने जम्मू कश्मीर के चुनाव में वोट डाला है।

उसका वीडियो सामने आने के बाद चुनाव आयोग इस मामले में सक्रिय हुआ था और बारामूला के जिला चुनाव अधिकारी ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। लोगों ने सवाल उठाया था कि क्या पाकिस्तान की नागरिकता रखने वाला शख्स भारत के चुनाव में वोट डाल सकता है?

आईए समझते हैं कि वोटर आईडी कार्ड को लेकर क्या नियम हैं?

संविधान के अनुच्छेद 326 के मुताबिक, 18 साल से ऊपर का कोई भी भारतीय नागरिक लोकसभा, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में होने वाले चुनाव में वोट दे सकता है।

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Representation of the People (RP) Act, 1950 की धारा 16 में क्या है?

Representation of the People (RP) Act, 1950 की धारा 16 में कुछ ऐसी वजह बताई गई हैं जिससे किसी शख्स को मतदाता सूची में रजिस्ट्रेशन करने से अयोग्य ठहराया जा सकता है और ऐसा तब हो सकता है जब वह शख्स भारत का नागरिक नहीं हो, या दिमागी रूप से स्वस्थ नहीं हो और इस बात को किसी competent court ने घोषित किया हो या फिर चुनाव के संबंध में किसी गड़बड़ी की वजह से उसे फिलहाल मतदान करने से अयोग्य घोषित किया गया हो।

यहां पर Election Commission of India’s (ECI’s) के फॉर्म 6 के बारे में बात करनी होगी। इस फॉर्म में भारतीय नागरिकों को अपनी उम्र और पते की self-attested कॉपी देनी जरूरी होती है। हालांकि मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने वालों को नागरिकता का कोई प्रमाण नहीं देना होता लेकिन इस फॉर्म में नागरिकता के बारे में घोषणा करना जरूरी है और आवेदन करने वाले को उस पर दस्तखत करने होते हैं।

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नियमों के मुताबिक, अगर आवेदक के द्वारा की गई घोषणा गलत पाई जाती है तो आवेदक पर (RP) Act, 1950 की धारा 31 के मुताबिक कार्रवाई हो सकती है। इसमें एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।

क्या करता है ERO?

फॉर्म 6 प्राप्त होने के बाद Electoral Registration Officer (ERO) इसमें किए गए दावों और आपत्तियों की जांच करता है, जरूरत पड़ने पर नोटिस जारी करता है और इस पर अंतिम फैसला लेता है।

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नागरिकता कैसे तय होती है?

निर्वाचन आयोग के नियमों के मुताबिक, ERO की यह जिम्मेदारी है कि किसी भी ऐसे शख्स का नाम मतदाता लिस्ट में नहीं जोड़ा जाना चाहिए जो अयोग्य हो। यहां पर बताना जरूरी होगा कि अगर किसी मतदाता के आवेदन को लेकर कोई आपत्ति नहीं है तो फिर ऐसे मामलों में नागरिकता की जांच नहीं होती।

ERO के पास जब कोई आवेदन आता है तो वह आवेदक की तमाम बातों के साथ ही इस बात की भी जांच करता है कि वह भारत का नागरिक है या नहीं और सभी सबूतों की भी जांच करता है।

चुनाव आयोग का मैनुअल क्या कहता है?

चुनाव आयोग के मैनुअल में कहा गया है कि पहली बार मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति पर नागरिकता साबित करने की जिम्मेदारी होती है। दूसरी जगहों से आए लोगों के मामले में ERO को उस जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) से जांच करानी होती है, जहां से आवेदन करने वाला शख्स आया है।

ऐसी विवाहित महिलाओं के मामले में जिनका पता शादी के बाद बदल गया है और जिनके पास नागरिकता को लेकर कोई दस्तावेज नहीं है, ERO महिला के अविवाहित होने के दौरान मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के सबूत पर भरोसा कर सकता है।

अगर किसी आवेदक के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की जाती है कि वह भारत का नागरिक नहीं है तो इसमें सबूत देने की जिम्मेदारी शिकायत करने वाले की होती है। ERO यह मांग कर सकता है कि आवेदन करने वाला व्यक्ति साबित करे कि वह भारत का नागरिक है।

आधार को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ने की तैयारी

ऐसे मामलों में जब गैर-नागरिकों के पास भारत का वोटर आईडी कार्ड मिलता है तो चुनाव आयोग कार्रवाई करते हुए उनके नाम को मतदाता सूची से हटा देता है। चुनाव आयोग इस मामले में आधार कार्ड को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ने जा रहा है जिससे केवल भारत की नागरिकता रखने वाले लोग ही चुनाव में मतदान कर सकेंगे।

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