भारत – पाकिस्तान तनाव के बीच विभिन्न राज्यों से पुलिस देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को डिपोर्ट करने के लिए अटारी सीमा लेकर पहुंच रही है। इन नागरिकों में जम्मू-कश्मीर के भी कई नागरिक हैं। बुधवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस 60 से 70 पाकिस्तानी नागरिकों को लेकर डिपोर्ट करने के लिए अटारी पहुंची थी। यहां इन लोगों को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया चल ही रही थी कि ग्रुप में शामिल एक बुजुर्ग पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल वाहिद की मौत हो गई।
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, बुधवार को 69 वर्षीय अब्दुल वाहिद की अमृतसर में कार्डियक अरेस्ट की वजह से मौत हो गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि वो 17 सालों से भारत में रह रहे थे और पुलिस को उनके पास से expired visa वीजा मिला है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुल वाहिद भट्ट साल 1980 से भारत में रह रहे थे। बुधवार को डिपोर्ट किए जाने की प्रक्रिया के दौरान उनकी मौत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि वो वह कथित तौर पर लकवाग्रस्त थे। अटारी में चेक पोस्ट गेट के बाहर खड़ी एक बस के अंदर उनकी मृत्यु हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुल वाहिद बस में अकेले ही यात्रा कर रहे थे क्योंकि उनका कोई बच्चा नहीं है।
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तेलंगाना की जेलों में बंद दो पाकिस्तानी कैदियों को पाकिस्तान ने अपना नागरिक मानने से किया इनकार
तेलंगाना की जेलों में पाकिस्तान के दो नागरिक – (शेर अली केशवानी की उम्र 75 वर्ष और मोहम्मद नज़ीर की उम्र 55 साल) वर्षों से बंद हैं। दोनों ने अपनी सजा पूरी कर ली है, वे अपने निर्वासन के इंतजार में कई सालों से जेल में कैद है लेकिन पाकिस्तान सरकार उन्हें अपना नागरिक मानने से इनकार कर रही है।
शेर अली केशवानी2015 से चेरलापल्ली केंद्रीय जेल में बंद हैं। उन पर जासूसी का आरोप था, जिसमें वह हैदराबाद कोर्ट से बरी हो गए थे। केशवानी को उत्तर प्रदेश में एक अन्य मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्होंने 2014 में अपनी सजा पूरी कर ली थी, लेकिन स्थानीय पुलिस द्वारा उन्हें आगरा जेल से हैदराबाद लाया गया था।
दूसरे पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद नज़ीर 2013 में नेपाल के रास्ते भारत आए और हैदराबाद में पारंपरिक चिकित्सा दवाओं के नाम पर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए। कोर्ट ने उन्हें पांच साल की सजा सुनाई, जो वर्ष 2018 में पूरी हो चुकी है। तब से वे चंचलगुडा केंद्रीय जेल में हैं। एक अधिकारी ने बताया कि दोनों के निर्वासन के लिए पाकिस्तानी दूतावास से संपर्क किया गया, लेकिन पड़ोसी देश की सरकार ने उन्हें अपना नागरिक मानने से इनकार कर दिया।