Citizenship Amendment Bill 2019, Pakistani Hindu Refugee in Delhi: लोकसभा के बाद राज्य सभा से भी नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पास होने के बाद जहां एक तरफ असम में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान से आई हिंदू शरणार्थियों (Hindu Refugee) में खुशी की लहर है। इस बीच बुधवार (11 दिसंबर) को कैब बिल के पास होने के बाद देश की राजधानी दिल्ली के मंजू का टीला (Majnu Ka Tila) में रह रही एक शरणार्थी महिला ने अपनी दो दिन की बेटी का नाम ‘नागरिकता’ रख दिया।
क्या बोली शरणार्थी महिला: राजधानी के मजनू का टीला में रहने वाली एक पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी महिला ने 16 दिसंबर को अपनी दो दिन की बेटी का नाम ‘नागरिकता’ रखा है। महिला ने कहा, “यह मेरी सबसे बड़ी इच्छा थी कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 संसद में पारित हो और आज संसद में यह विधेयक (CAB) पारित हो गया। हमें इस बात से बहुत खुश हैं।”
#WATCH Delhi: Hindu refugees from Pakistan living in Majnu-ka-Tila area celebrated the passage of #CitizenshipAmendmentBill2019 in Rajya Sabha. pic.twitter.com/1AhTxOcXHG
— ANI (@ANI) December 11, 2019
ख़ुशी से झूमे लोग: मजनू का टीला में रहने वाली आरती ने बताया कि 7 साल पहले वह पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत आए थे। यहां दिल्ली के मजनू का टीला में उन्होंने अपना नया आशियाना बनाया, लेकिन उन्हें पहचान ना मिल सकी। बुधवार को कैब बिल के पास होने के बाद यहां के रहने वाले हिंदू शरणार्थी ख़ुशी से झूम उठे। लोगों ने अपने हाथों में तिरंगा और बीजेपी का झंडा लेकर ढोल नगाड़े बजाकर ख़ुशी जाहिर की। लोगों का कहना है कि लंबे अरसे से चला आ रहा नागरिकता मिलने का इंतजार शायद अब खत्म होने वाला है।
यूं किया खुशी का इजहार: मंजू का टीला में रहने वाले बच्चों ने अपनी खुशी तिरंगे के साथ पटाखे जलाकर प्रकट की और ‘‘भारत माता की जय’’ और ‘‘जय हिंद’’ के नारे लगाए। वहीं, बड़े बुजुर्गों ने एक दूसरे को बधाई दी और मिठाइयां बांटी। यहां रहने वाले एक परिवार ने संसद से विधेयक पारित होने के बाद अपनी बेटी का नाम ‘‘नागरिकता’’ रखा। बेटी की दादी मीरा दास ने कहा कि बच्ची का जन्म सोमवार को हुआ था और परिवार ने उसका नाम ‘‘नागरिकता’’ रखने का फैसला किया जो राज्यसभा से अब पारित हो चुका है। मीरा ने भी लोकसभा में विधेयक के पारित होने की मन्नत मांगी थी और उस दिन उपवास रखा था। उन्होंने कहा, ‘‘ सुरक्षित पनाहगाह की तलाश में हम आठ साल पहले भारत आए थे।”