पाकिस्तान ने पुलवामा जिले में आतंकी हमले की आशंका को लेकर भारत के साथ जानकारी साझा की है। यह हमला अवंतिपोरा में हो सकता है। श्रीनगर के एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने द संडे एक्सप्रेस से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है। बता दें कि इससे पहले बिश्केक में हुए एससीओ समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से कहा था कि बातचीत से पहले पाकिस्तान को ‘आतंकवाद रहित’ माहौल बनाना होगा। हालांकि, पीएम ने यह भी कहा था कि फिलहाल पाकिस्तान की ओर से ऐसा होता नहीं दिख रहा। पीएम ने यह भी कहा था कि भारत ने पाकिस्तान के साथ शांति की पहल की लेकिन उसकी कोशिशें ‘बेपटरी’ हो गईं।
वहीं आतंकी हमले को लेकर यह अलर्ट दो दिन पहले ही आया है। इसके बाद से, पूरे कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। आशंका जताई गई है कि आतंकवादी किसी वाहन पर आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) लगाकर विस्फोट को अंजाम दे सकते हैं। अधिकारी ने बताया, ‘पाकिस्तानियों ने संभावित आतंकी हमले की जानकारी इस्लामाबाद स्थित हमारे हाई कमीशन के साथ साझा की है। उन्होंने यह सूचना अमेरिकी अधिकारियों से भी साझा की है। उन्होंने हमें भी इस बारे में जानकारी दी। यानी यह सूचना हमें सीधी तौर पर भी मिली और अमेरिकियों से भी।’ अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी बता रहे हैं कि हमले की योजना जाकिर मूसा की मौत का बदला लेने के लिए बनायी गई है। बता दें कि कुख्यात आतंकी जाकिर मूसा पिछले महीने त्राल में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के दौरान मारा गया था।
इससे पहले, 14 फरवरी को पुलवामा जिले में ही एक फिदायीन कार बम हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। यह हमला लेथपोरा के हाइवे पर हुआ था। यह जगह अवंतिपोरा से महज 7 किमी दूर ही स्थित है। इस हमले की वजह से ही भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के ठिकाने पर एयरस्ट्राइक की थी। इसके बाद, दोनों देशों का तनाव चरम पर पहुंच गया। बालाकोट एयरस्ट्राइक के अगले ही दिन हुए हवाई मुठभेड़ में भारत ने पाकिस्तान का एक एफ16 विमान मार गराया। हालांकि, दुश्मनों से मोर्चा लेने के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का मिग 21 पाकिस्तान में क्रैश हो गया। बाद में भारतीय कूटनीति की वजह से बने अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान को अभिनंदन को रिहा करना पड़ा। अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से सूचना साझा करने के दो मकसद हो सकते हैं। एक तो यह कि हमला होने की स्थिति में उन पर कोई आरोप न लगे। दूसरा यह भी कि यह उनकी सच में जानकारी साझा करने की कोशिश हो।