पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रक्षा समझौते को लेकर पूर्व विदेश राज्य मंत्री और तिरुवनंतपुरम लोकसभा से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि हमें अपनी सरकार पर भरोसा होना चाहिए। क्योंकि इन मामलों में इस्लामी दुनिया के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं, खासकर खाड़ी देशों के साथ हमारे संबंध पहले कभी इतने मजबूत नहीं रहे। इसके साथ ही थरूर ने अमेरिका को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘यह एक लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था का औपचारिक रूप है। पाकिस्तान लंबे समय से खुद को मुस्लिम जगत की प्रवर्तन शाखा (नियम कानून बनाने वाले) के रूप में पेश करने की कोशिश करता रहा है। मुझे नहीं लगता कि हमें अभी ज्यादा प्रतिक्रिया इसको लेकर देनी चाहिए। हालांकि कुछ परेशान करने वाले तत्व हैं, खासकर यह बयान कि एक देश पर किसी भी आक्रमण को दूसरे देश पर आक्रमण माना जाएगा। यह मत भूलिए कि सऊदी अरब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चुप रहा था। लेकिन मुझे यकीन है कि हमारे राजनयिक निष्क्रिय नहीं बैठे हैं, वे सऊदी अरब से बात कर रहे हैं।
हमें अपनी सरकार पर भरोसा होना चाहिए कि इन मामलों में इस्लामी दुनिया के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं। खासकर खाड़ी देशों के साथ हमारे संबंध पहले कभी इतने मजबूत नहीं रहे। हर किसी की नीतियां सिर्फ हम पर आधारित नहीं होतीं। हमें दुनिया के बारे में ऐसा आत्म-केंद्रित नजरिया नहीं रखना चाहिए कि हम यह मान लें कि ट्रम्प जो कुछ भी करते हैं, जिससे हम प्रभावित होते हैं, वह हमारी वजह से या हमारे प्रति उनकी भावनाओं की वजह से है। सऊदी अरब के लिए भी यही बात लागू होती है।’
पाकिस्तान के अमेरिका से हैं पुराने संबंध
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के दावे पर थरूर ने कहा कि किसी को हमें मनाने की जरूरत नहीं पड़ी। हमारे संदेश और संकेत स्पष्ट थे। अगर वे रुकेंगे तो हम रुकेंगे। लेकिन जब तक वे हम पर वार करते रहेंगे, हम भी उन्हें उतनी ही जोर से जवाब देंगे। और यही हुआ। हालांकि यह संभव है कि अगर वाशिंगटन ने इस्लामाबाद या रावलपिंडी को हमें रोकने के लिए मना लिया, तो हमारे पास आभारी होने का पूरा कारण है।
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शायद ट्रंप की बातों पर अपनी आपत्ति में हम इस बात को नजर अंदाज कर रहे हैं कि हमें नहीं पता कि वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच क्या हुआ था। हो सकता है कि ट्रंप ने कहा हो अपनी जवाबी कार्रवाई को और तेज़ मत करो क्योंकि हम तुम्हारे और भारत के बीच शांति चाहते हैं। किसी भी कारण से अगर उन्होंने ऐसा किया तो हमें निश्चित रूप से कहना चाहिए कि हम इसकी सराहना करते हैं। भले ही हमने इसके लिए कहा न हो। हमने इसके लिए इसलिए नहीं कहा क्योंकि हम इस बात में विश्वास नहीं करते कि कोई हमारे और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करे।
अमेरिका की पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियों पर थरूर ने कहा, ‘हमने खुद को यह भूल जाने दिया है कि पाकिस्तान अमेरिका का एक पुराना सहयोगी है। अमेरिका पहले पारंपरिक रूप से सैन्य और रणनीतिक रूप से पाकिस्तान के ज्यादा करीब था। भारत और अमेरिका के बीच 30 सालों से गर्मजोशी रही है, लेकिन पुराने इतिहास को नहीं भूलना चाहिए। अभी भी कई पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी अमेरिका में प्रशिक्षित हुए हैं। कई पाकिस्तानी खुफिया एजेंट अमेरिकियों के साथ काम कर चुके हैं और उनसे प्रशिक्षित हुए हैं। उनके रिश्ते लंबे और गहरे रहे हैं। पाकिस्तान भारत पर हमला करने के लिए जिन आतंकवादियों को पालता है, वे अमेरिका पर हमला नहीं कर रहे हैं। जो लोग अमेरिका पर हमला कर रहे हैं – आईएसआईएस, दाएश, वे ऐसे समूह हैं जो पाकिस्तानी प्रतिष्ठान और पाकिस्तानी सेना पर भी हमला कर रहे हैं। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच भारत से स्वतंत्र एक रिश्ता है। हालांकि, हमारे हालिया संदर्भ को देखते हुए भारत के लिए यह बहुत खराब स्थिति है।’