पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना हिटलर से की है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का जन्म मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए हुआ है। शुक्रवार (30 अगस्त 2019) को देश को संबोधित करते हुए पाक पीएम ने कहा हमारे कश्मीरी आज बहुत तकलीफ से गुजर रहे हैं। आज हिंदुस्तान में ये किस तरह की हुकूमत है जो इंसानों पर जुर्म कर रही है। इनको समझने के लिए हमें आरएसएस की विचारधारा को समझना होगा। आरएसएस वो जमात थी जो 1925 बनी और जिसका मकसद मुसलमानों के खिलाफ नफरत है। ये जमात नफरत में पैदा हुई है।

उन्होंने कहा ‘आरएसएस का गठन हिटलर की नाजी पार्टी से प्रभावित होकर किया गया। जिस तरह हिटलर की पार्टी सोचती थी कि जर्मन के अलावा और नस्ल का सिर्फ कत्ल होना चाहिए। ठीक उसी तरह इनकी भी सोच है। इनका (आरएसएस) मैनिफेस्टो था कि हिंदुस्तान से मुसलमानों को निकाल फेंकना चाहिए। ये कहते हैं कि मुसलमानों को हिंदुओं के बराबर हक नहीं मिलना चाहिए।’

पाक पीएम ने कहा ‘आरएसएस की विचारधारा ने हिंदुस्तान पर कब्जा कर लिया है। ये सोचते हैं कि मुसलमानों को सबक सिखाना चाहिए। वे ऐसा इसलिए सोचते हैं क्योंकि मुसलमानों ने हिंदुस्तान में कई साल हुकूमत की थी और अब समय आ गया है कि उन्हें सबक सिखाया जाए। आरएसएस की विचारधारा न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि ईसाइयों के लिए भी खतरनाक है। आरएसएस नेहरू और गांधी की सेक्युलर भारत की विचारधारा से सहमति नहीं रखती।’

इमरान खान ने आगे कहा ’80 लाख कश्मीरी बीते चार हफ्तों से कर्फ्यू के अंदर बंद हैं। लेकिन हम सभी उनके साथ खड़े हैं। हम उनके दर्द और दुख में शामिल हैं। जबतक हमारे कश्मीरियों को आजादी नहीं मिलती पाकिस्तानी कौम उनके साथ खड़ी है। हम आखिरी दम तक कश्मीरियों के साथ खड़े रहेंगे।’

बता दें कि कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान की इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाने की कोशिश भी नाकाम रही है। कश्मीरियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को 12 से साढ़े 12 बजे तक ‘कश्मीर आवर’ का आयोजन किया गया। लोगों से कहा गया कि वह कश्मीरियों के समर्थन में घरों से बाहर निकले। प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (पीएमओ) के बाहर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में एजुकेशन इंस्टीट्यूट, सरकारी और प्राइवेट आफिसर्स, बैंककर्मी, ट्रेडर्स, वकीलों और सैन्य अधिकारी शामिल हुए।