पाकिस्तान सरकार इस बात से हमेशा इनकार करती रही है कि उनके यहां हिंदू अल्पसंख्यकों से भेदभाव होता है, लेकिन यह सच है कि वहां हिंदू अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों की हालत बदतर है। फिलहाल यह बात वहां के न्यायिक आयोग ने भी मानी है।
पाकिस्तान के डॉ. शोएब सडल आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में हिंदुओं के धार्मिक स्थलों की हालत निराशाजनक है। इस आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने ही गठित किया था। रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि ‘अवाक्यूयी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (ईटीपीबी) को तेरी मंदिर/समाधि का पुनर्निर्माण कराने का निर्देश दिया जाए।
रिपोर्ट में तेरी मंदिर (कटक), कटास राज मंदिर (चकवाल), प्रहलाद मंदिर (मुल्तान) और हिंगलाज मंदिर (लासबेला) के रेनोवेशन के लिए सामूहिक प्रयास करने का सुझाव दिया गया है। आयोग ने कहा है कि ईटीपीबी एक्ट में संशोधन किया जाना चाहिए, ताकि हिंदुओं और सिखों के धार्मिक स्थलों की देखभाल और पुनर्निर्माण के लिए एक कार्यकारी समूह गठित किया जा सके।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को अपने आदेश में ईटीपीबी को निर्देश दिए थे कि वो अपने नियंत्रण में आने वाले सभी मंदिरों, गुरुद्वारा और अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपे। आयोग ने ईटीपीबी से कई बार जानकारियां मांगीं लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
अखबार द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सडल आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को 5 फरवरी को हिंदुओं के धार्मिक स्थलों के संबंध में रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में इस बात को लेकर अफसोस जाहिर किया गया है कि ईटीपीबी, अल्पसंख्यक समुदाय के प्राचीन स्मारकों और धार्मिक स्थलों की देखभाल करने में नाकाम रहा है। आयोग ने 6 जनवरी को चकवाल स्थित कटस राज मंदिर और 7 जनवरी को मुल्तान के प्रहलाद मंदिर का दौरा किया था। रिपोर्ट में इन मंदिरों की दुर्दशा की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं।