पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय जिहादी ताकतों (आतंकी संगठनों) के मैनेजर के रूप में काम कर रही है। अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में छपे एक लेख में कार्लोटा गॉल ने यह बात कही है। उनकी नजर में अफगानिस्तान में फैली अस्थिरता के पीछे भी पाकिस्तान का ही हाथ है। पाकिस्तान की भूमिका सिर्फ अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह कई देशों में इस प्रकार की गतिविधियां चला रहा है।
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अखबार के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मुजाहिदीन ताकतों के ‘मैनेजर’ के रूप के काम कर रही है। अखबार की उत्तर अफ्रीका की संवाददाता कार्लोटा गॉल ने लिखा है, ‘ऐसी रिपोर्ट है कि इस्लामिक स्टेट को खड़ा करने के पीछे भी पाकिस्तान की ही भूमिका है।’ पाकिस्तान भले ही कई बार तालिबान और अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों को शरण देने की बात से इनकार करता रहा है, लेकिन यह सच नहीं है। कई विश्लेषक इस बारे में विस्तृत जानकारी दे चुके हैं कि पाकिस्तान ने आतंकी समूहों को पाला।
पाकिस्तान सिराजुद्दीन हक्कानी को शरण दिए हुए है, जो तालिबान का नंबर 2 लीडर है। वह पाकिस्तान में खुला घूम रहा है। यहां तक कि कई बार रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के दफ्तर तक भी जा चुका है। तालिबान का नया लीडर मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर, जो कि क्वेटा में अपने लड़ाकों के साथ सरेआम मीटिंग करता है। इतना ही नहीं, आतंक का एक और नाम अल कायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी भी पाकिस्तान में ही है। पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में उसकी लोकेशन बलूचिस्तान के दक्षिण-पश्चिम इलाके में बताई गई थी।
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